महात्मा गांधी
Mahatma Gandhi
भारतीय वकील
जन्म : 2 अक्टूबर 1869, पोरबंदर
हत्या: 30 जनवरी 1948, बिड़ला हाउस, नई दिल्ली
- राष्ट्रपिता का गौरव पाने वाले देश के कर्णधार मोहनदास करमचन्द गाधी का जन्म पोरबन्दर राज्य के दीवान करमचंद गांधी के घर हुआ था। उनकी माता पुतलीबाई बहुत धार्मिक प्रवृत्ति की महिला थीं। पुत्र मोहन पर माँ के इस भाव ने गहरा प्रभाव डाला । विरासत में प्राप्त सत्यनिष्ठा ने उन्हें बुराई को छोड़ अच्छाई के मार्ग पर चलने को प्रेरित किया।
- सात साल की अवस्था में गांधी परिवार राजकोट आ गया। वहाँ से मैट्रिक पास करके 4 सितम्बर 1888 को गांधीजी मुंबई से विदेश के लिए रवाना हुए। जाने से पहले उन्होंने अपनी माँ को माँस-मदिरा का सेवन न करने का वचन दिया। शुरू से ही शर्मीले स्वभाव के गांधी ने किसी तरह अपनी लंदन तक की यात्रा पूरी की। कठिन स्थितियों में वकालत की शिक्षा पूरी करके, उन्होंने मुबंई हाईकोर्ट में वकालत शुरू कर दी। एक भारतीय कंपनी के मुकदमे की पैरवी के सिलसिले में गांधीजी को दक्षिण अफ्रीका का निमंत्रण मिला। वहाँ के कालों की दुर्दशा देखकर गांधीजी के जीवन की दिशा ही बदल गई। उन्होंने ‘कुली’ शब्द, पगड़ी आदि का विरोध किया और राजनैतिक नेता के रूप में प्रसिद्ध हो गए। वहाँ के काले कानून के खिलाफ उन्होंने नेटाल इंडियन कांग्रेस’ नामक संस्था बनाई। दक्षिण अफ्रीका की सरकार के दमन कानूनों का उन्होंने डटकर विरोध किया। वहाँ सत्याग्रह’ की लड़ाई का सफलतापूर्वक समापन करके गांधीजी सन् 1915 में भारत लौटे।
- गांधीजी की प्रसिद्धि भारत में फैल चुकी थी। देश लौटते ही उन्होंने भारत भ्रमण किया। इन्हीं दिनों चम्पारन जिले में नील बागानों के गोरे जमींदार किसानों पर अत्याचार कर रहे थे। गांधीजी ने किसानों को उनका अधिकार दिलाया।
- खेड़ाऔर अहमदाबाद मिल मजदूर समस्या को भी उन्होंने अपने सत्याग्रही तरीके से निपटाया। भारतीय राजनीति में उनकी सक्रियता 1919 में सरकार के रोलेट एक्ट के आने के बाद बढ़ी। गांधीजी ने इसके विरोध में अहिंसात्मक आंदोलनचलाया। विदेशी माल का बहिष्कार करने के लिए स्वदेशी आंदोलन चलाया। चरखा कातकर खादी और स्वदेशी का प्रचार किया।
- सन् 1920 में उन्होंने असहयोग आंदोलन चलाया। देश की जनता अंग्रेज सरकार से असहयोग करने लगी। परंतु चौरा-चौरी की हिंसक घटना के कारण गांधीजी ने आंदोलन स्थगित कर दिया।
- 1922 में सरकार ने गांधीजी को गिरफ्तार कर लिया। और हिन्दू-मुस्लिम एकता को भंग करने में लग गई। जेल से रिहा होने पर हिन्दू-मुस्लिम दंगों ने गांधीजी को गहरी ठेस पहुँचाई। शांति और एकता के इस मसीहा ने स्थितियों को सुधारने के लिए 21 दिन का उपवास किया।
- लाहौर कांग्रेस में पूर्ण स्वतंत्रता का प्रस्ताव पारित हुआ। गांधीजी को आंदोलन की बागडोर सौंपी गई। उन्होंने ‘सविनय अवज्ञा आंदोलन’ की शुरूआत 1930 में नमक कानून को तोड़कर की। वायसराय लार्ड इरविन और गांधीजी में समझौता हुआ। सन् 1931 के गोलमेज सम्मेलन में गांधीजी कांग्रेस के प्रतिनिधि बनकर गए। वहाँ से निराश लौटे। गांधी ने 1932 में सत्याग्रह का नारा बुलंद कर दिया।
- सन् 1934 के मुंबई अधिवेशन में गांधीजी ने कांग्रेस का नया विधान बनाया। सन् 1939 में द्वितीय विश्व युद्ध में भारत को जबरन शामिल करने का कांग्रेस ने विरोध किया। सन् 1942 में गांधीजी ने ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ छेड़ दिया। गांधीजी व अन्य बड़े नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया परंतु आंदोलन तेजी से चलता रहा ।
- आखिरकार गांधीजी के अहिंसात्मक प्रयोगों और सत्याग्रह ने रंग दिखाया। अंग्रेजों ने 15 अगस्त 1947 को भारत को स्वतंत्र कर दिया।एकता के पुजारी महात्मा गांधी को एक धक्का और लगा, जब स्वतंत्रता के साथ भारत का विभाजन में हो गया। हिन्दू-मुस्लिम दंगे छिड़ गए। गांधीजी ने अनशन शुरू कर दिया। सबके शांत होने के बाद ही उपवास तोड़ा।
- 30 जनवरी 1948 को उनकी हत्या कर दी गई।’बड़े गौर से सुन रहा था जमाना, तुम्हीं सो गए दास्तां कहते-कहते . . . . . ।’ जैसे भाव-विह्वल शब्दों से देश ने अपने प्रिय नेता को अंतिम शृद्धांजलि दी।