काका कालेलकर
Kaka Kalelkar (Indian author)
जन्म: 1 दिसंबर 1885, सतारा
मृत्यु : 21 अगस्त 1981, नई दिल्ली
- काला कालेलकर का जन्म एक प्रतिष्ठित ब्राह्मण परिवार में हुआ था। 17 वर्ष की उम्र में उनका विवाह हुआ, तब वह मैट्रिक में पढ़ रहे थे। शिक्षा पूरी करने के बाद उन्होंने शांतिनिकेतन में एक वर्ष अध्यापन किया।
- सन् 1915 में गांधीजी से मिलने के बाद उनके जीवन की दिशा बदल गई। अध्यापन छोड़कर वह गांधीजी के आश्रम में आ गए। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की कार्यकारिणी में रहे। स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय भूमिका होने के कारण कई बार जेल गए।
- एक रचनात्मक कार्यकर्ता होने के नाते उन्होंने हरिजनों, पिछड़ी जातियों, वर्गों का उद्धार, आश्रम-स्कूल का संचालन, हिन्दुस्तानी तालीमी संघ का कार्य, स्वदेशी प्रचार, ग्रामोद्योग उत्थान जैसे बहुत से काम किए।
- वह मूलतः लेखक, पत्रकार व साहित्यकार थे। बहुभाषा-विद् एवं राष्ट्रभाषा के रूप में हिंदी के प्रबल समर्थक रहे । उन्होंने मराठी, हिंदी, गुजराती की कई पत्रिकाओं का संपादन किया।
- गांधीजी के ‘यंग इंडिया’ व ‘नवजीवन’ के संपाटन में योग दिया। उन्होंने हिन्दी, मराठी एवं गुजराती में बहुत-सी पुस्तकें लिखीं।
- सन् 1966 में गुजराती पुस्तक ‘जीवन व्यवस्था’ पर उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार दिया गया। उनकी चर्चित पुस्तक ‘परम सखा मृत्यु’ को उत्तर प्रदेश शासन ने पुरस्कृत किया।
- काका अनेक विश्वविद्यालयों में उपकुलपति और कुलपति भी रहे। उन्हें ‘सरदार पटेल’ और गुजरात विश्वविद्यालयों ने “डी.लिट्.’ की उपाधि प्रदान की।
- सन् 1971 में साहित्य अकादमी का आजीवन फैलो चुने गए। सन् 1964 में उन्हें ‘पद्मविभूषण’ से सम्मानित किया गया।
- सन् 1952-61 की अवधि तक वह मनोनीत संसद सदस्य रहे।
- 21 अगस्त, 1981 को उनका देहांत हो गया ।