काका हाथरसी
Kaka Hathrasi -Poet
जन्म: 18 सितंबर 1906, हाथरसी
मृत्यु: 18 सितंबर 1995
- हास्य काव्य को समर्पित कवि काका हाथरसी के बारे में कहा जाता है कि श्रीमती बर्फी देवी की कोख से जन्म लेने वाले काका ने दुनिया में हंसते हुए पदार्पण किया था।
- उनका जीवन कष्टों से भरा हुआ था। जन्म के कुछ समय बाद ही उनका परिवार प्लेग की चपेट में आ गया और उसमें उनके पिता का भी देहांत हो गया। उनकी माँ ने किसी तरह से उनका पालन-पोषण किया। उन का असली नाम प्रभूलाल गर्ग था।
- काफी कम उम्र से ही काका स्वावलंबी जीवन जीने लगे। चाट का खोमचा लगाते हुए दस वर्ष की उम्र में उन्होंने प्रथम कक्षा में प्रवेश लिया। उसी समय मैथिलीशरण गुप्त की देशभक्ति की कविताओं से प्रेरित होकर, वे देश-सेवा भी करने लगे।
- लगभग 14-15 साल की उम्र में ही उन्होंने रोजगारोन्मुखी पढाई की तरफ ध्यान दिया और मुनीमगिरी करने लगे।
- बहुमुखी प्रतिभा के धनी काका हाथरसी से अधिक दिन मुनीमगिरी चल नहीं पाई।
- नाटकों के प्रति लगाव, संगीत की दीवानगी, रेखाओं के प्रति समर्पण के कारण वे उस ओर झुक गए। संगीत में रमने के लिए उन्होंने बहुत से उतारचढावों के बीच, संगीत सागर, संगीत विशारद और राग कोटा पर पुस्तकें लिखीं।
- काका हाथरसी पांच दशक तक काव्य को हास्य प्रधान बनाने में जुटे रहे।
- सामयिक परिस्थितियों पर प्रहार करना उनकी हास्य-व्यंग्य कविताओं की खासियत उन्होंने चित्रकला व अभिनय क्षेत्र में भी अपनी प्रतिभा का परिचय दिया जिसके लिए उन्हें अनेक सम्मान प्रदान किए गए।
- उन्हें ‘पद्मश्री’ तथा यू.एस.ए. की ‘आनरेरी सिटीजनशिप’ देकर सम्मानित किया गया।
- 18 सितम्बर, 1995 को काका हाथरसी का देहांत हो गया।