जेद् कृष्णमूर्ति
Jiddu Krishnamurti
(दार्शनिक)
जन्म: 12 मई 1895, मदनपल्ली
मृत्यु: 17 फरवरी 1986, ओजई, कैलिफ़ोर्निया, युनाइटेड
- जेटू कृष्णमूर्ति विश्वविख्यात दार्शनिक और आध्यात्मिक गुरु थे।
- वे चेनई के निकटवर्ती गाँव के ब्राह्मण परिवार में जन्मे थे।
- ग्यारह वर्ष की अवस्था में ही एनी बेसेन्ट उन्हें उनके पिता से मांगकर ले गई थीं।
- गूढ़ चिंतक कृष्णमूर्ति को बहुत समय तक उनका संरक्षण भी नहीं सुहाया।
- सन् 1929 में उन्होंने थियोसॉफिकल सोसायटी को छोड़ दिया। इस समय तक विश्व में उनके विचार और शिक्षाएँ फैल चुकी थीं।
- श्री कृष्णमूर्ति आधुनिक युग के श्रेष्ठ चिंतकों में से एक थे।
- उन्होंने आध्यात्मिकता और मोक्ष को नए अर्थ दिए। उन्हें सामान्य जन के पहुँच की वस्तु बना दिया।
- परंपराओं, प्रार्थनाओं, गुरु या ईश्वर जैसी संस्था में उनका कोई विश्वास नहीं था। वे मानते थे कि संपूर्ण मनुष्य जीवन ध्यान का एक अंश है। परंपरागत सोच, भावनाएँ, विश्वास और उदाहरण किसी व्यक्तित्व के सच्चे विकास में बाधक बनते हैं। वे व्यक्ति की सृजनात्मकता को मारकर उसे नकलची बनाते हैं।
- पूर्व धारणाओं से मुक्त मस्तिष्क ही उस ‘सत्य’ की प्राप्ति कर सकता है, जो जीवन का चरम लक्ष्य है ।
- आकर्षक व्यक्तित्व के धनी इस गुरु का भौतिक शरीर 17 फरवरी, 1986 को पंचतत्व में विलीन हो गया।