10 Lines on “Jawaharlal Nehru” (Former Prime Minister of the Republic of India) “जवाहरलाल नेहरू ” Complete Biography in Hindi, Essay for Kids and Students.

जवाहरलाल नेहरू 

Jawaharlal Nehru

(Former Prime Minister of the Republic of India)

जन्म: 14 नवंबर 1889, प्रयागराज
मृत्यु: 27 मई 1964, नई दिल्ली

  1. भारत के रत्न जवाहरलाल नेहरू का जन्म कश्मीरी पंडितों के अत्यंत समृद्ध परिवार में हुआ था।
  2. इनके पिता पं. मोतीलाल नेहरू देश के प्रसिद्ध वकील थे। वह काफी कुछ अंग्रेजीयत में ढले हुए थे। अपने एकमात्र पुत्र जवाहर को भी वैसा ही बनाना चाहते थे।
  3. जवाहर की आरम्भिक शिक्षा घर पर ही हुई। किशोर होने पर उन्हें लंदन के हैरो स्कूल में भेज दिया गया। बाद में कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में उन्होंने पढ़ाई पूरी की।
  4. सन् 1912 में जब नेहरू बैरिस्टर बनकर आए, तो पंडित मोतीलाल ने उन्हें अपने ही साथ वकालत में लगा लिया। युवा जवाहर के मन-मस्तिष्क पर यूरोप की प्रगति और वैज्ञानिक उन्नति के चित्र अंकित थे। भारत को भी वह वैसा ही देखना चाहते थे।
  5. सन् 1919 में जलियाँवाला बाग़ हत्याकाण्ड के बाद अग्निकुंड बने देश में भी नेहरू जी की सक्रिय भागीदारी रही। अपनी राजनीतिक सक्रियता के कारण उनको अधिकांश समय जेल में रहना पड़ा। उनका उत्साह और क्षमता देखकर उन्हें सन् 1929 के ऐतिहासिक लाहौर अधिवेशन का अध्यक्ष चुना गया। यहाँ नेहरू ने ‘पूर्ण स्वराज्य’ के ध्येय की वोषणा की।
  6. वह सन् 1936 के लखनऊ अधिवेशन में एक बार फिर अध्यक्ष चुने गए। उन्होंने कांग्रेस समाजवादी पार्टी के गठन को प्रोत्साहित किया ।उन्होंने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान चल रही तानाशाही की कड़ी आलोचना की और प्रजातांत्रिक देशों के प्रति सहानुभूति व्यक्त की। इसी समय वे गांधीजी के नलाए ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ में कूद पड़े और जेल भेज दिए गए।
  7. सन् 1946 में कांग्रेस का अध्यक्ष रहते हुए उन्होंने अंतिम वॉयसराय माउंटबेटन के साथ मिलकर स्वतंत्र भारत की योजनाओं को अंतिम रूप दिया।
  8. 15 अगस्त सन् 1947 को वह स्वतंत्र भारत के प्रथम प्रधानमंत्री बने। उन्होंने देशी रियासतों को प्रजातंत्र अपनाने पर जोर दिया तथा जमींदारी प्रथा के उन्मूलन की दलील दी। देश के आर्थिक विकास के लिए पंचवर्षीय योजनाएँ प्रारंभ की। उन्होंने विज्ञान और प्रौद्योगिकी को बहुत बढ़ावा दिया।
  9. अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में वह शांतिदूत के रूप में उभरे। देश को समाजवाद की ओर बढ़ाकर, उन्होंने उसे दो महाशक्तियों के चुंगल से मुक्त रखा। इस कार्य में उनका सहयोग मिस्र के राष्ट्रपति नासिर और यूगोस्लाविया के मार्शल टीटो ने दिया। इस गुट-निरपेक्ष विदेश नीति का अनुसरण बहुत से देशों ने किया। उनके पंचशील सिद्धांतों ने राष्ट्रों की आंतरिक नीतियों में किसी बाहरी राष्ट्र के हस्तक्षेप को बहुत समय तक दूर रखा।
  10. वह एक अच्छे लेखक भी थे। मेरी कहानी’, ‘भारत की खोज’, विश्व इतिहास की झलक’, ‘पिता के पत्र पुत्री के नाम’ आदि उनकी पुस्तकें हैं। 27 मई सन् 1964 को पं. नेहरू का देहांत हो गया ।

Leave a Reply