घनश्याम दास बिड़ला
Ghanshyam Das Birla
जन्म: 10 अप्रैल 1894, पिलानीक
मृत्यु: 11 जून 1983, लंदन, यूनाइटेड किंगडम
- घनश्याम दास बिड़ला भारत के प्रमुख उद्योगपतियों में से एक थे। अल्प शिक्षा के बाद वे 12 वर्ष की आयु में अपने पिता के साथ मुंबई जाकर व्यापार करने लगे। जूट उद्योग में ब्रिटिश एकाधिकार को खत्म करने के लिए वे कलकत्ता गए।
- 19 वर्ष की उम्र में उन्होंने व्यवसाय प्रारंभ किया। सन् 1917 में बिड़ला बंधुओं ने लंदन में अपना कार्यालय खोला।
- सन् 1918 में 20 लाख की पूंजी से कलकत्ता में बिड़ला ब्रदर्स प्रा. लि. की स्थापना हुई।
- सबसे पहले उन्होंने दिल्ली में कपड़ा मिल की स्थापना की। इसके बाद जूट, सीमेंट, कपड़ा आदि की अनेक मिलों की स्थापना का सिलसिला चलता गया।
- सन् 1925 में कलकत्ता में इंडियन चैम्बर ऑफ कॉमर्स’ की स्थापना की।
- उन्होंने दक्षिण अफ्रीका, एशिया में कई स्थानों पर अपने उद्योगों का प्रसार किया।
- श्री बिड़ला राजनीति में भी परोक्ष रूप से सक्रिय रहे। सन् 1915 में गांधीजी से उनकी मुलाकात कलकत्ता में हुई। वे गांधीजी की राष्ट्रवादिता एवं धार्मिक स्वभाव से बहुत प्रभावित थे। वे कभी कांग्रेसी नहीं बने परंतु स्वतंत्रता आंदोलन के लिए करोड़ों रुपयों का दान किया।
- सन् 1928 में उन्होंने ‘हिन्दुस्तान टाइम्स’ को इसलिए खरीद लिया जिससे कांग्रेस के कार्यक्रमों का प्रचार-प्रसार हो सके। काशी हिंदू विश्वविद्यालय के लिए 5 लाख रुपए का दान किया।
- बिड़ला भवन में गांधीजी की मृत्यु के बाद उन्होंने उसे राष्ट्र को समर्पित कर दिया। बिड़ला शिक्षा ट्रस्ट’ ने देश भर में अनेक शिक्षा संस्थाओं और पिलानी जैसे तकनीकी शिक्षा केंद्रों का निर्माण करवाया है।
- श्री घनश्याम दास बिड़ला का निधन 11 जून, 1983 को लंदन में हुआ ।