गजानन माधव मुक्तिबोधि
Gajanan Madhav Muktibodh
जन्म: 13 नवंबर 1917, ग्वालियर
मृत्यु: 11 सितंबर 1964, हबीब गंज, भोपाल
- मुक्तिबोध के पिता पुलिस में सब-इंस्पेक्टर थे।
- बराबर स्थानांतरण होने के कारण मुक्तिबोध की शिक्षा में अनेक बाधाएं आती रहीं।
- उन्होंने उज्जैन से आरंभिक शिक्षा ली और इंदौर के होलकर कॉलेज से बी.ए. किया। उन्होंने अनेक जगह अध्यापन कार्य किया।
- सन् 1954 में एम.ए. करने के बाद वे राजनांदगाँव (मध्य प्रदेश) के दिग्विजय कॉलेज में प्राध्यापक हो गए।
- मुक्तिबोध की साहित्य-यात्रा उज्जैन के शिक्षण के दौरान ही प्रारंभ हो गई थी। उनका काव्य उनके जीवन को प्रतिबिम्बित करता है।
- अपनी काव्य-प्रेरणा के संबंध में उन्होंने लिखा है – ‘मेरे बाल-मन की पहली भूख सौन्दर्य और दूसरी विश्व-मानव का सुख-दुख; इन दोनों का संघर्ष मेरे साहित्यिक जीवन की पहली उलझन थी।’
- उनकी काव्य-संवेदना पर अस्तित्ववाद, द्वन्द्वात्मक भौतिकवाद तथा मार्क्सवाद का प्रभाव है।
- ‘कामायनी’ एक पुनर्विचार, नई कविता का आत्म-संघर्ष, एक साहित्यिक की डायरी, चांद का मुंह टेढ़ा है आदि प्रमुख कृतियां हैं।
- उनकी कविताएं मुक्तिबोधरचनावली के 4 खण्डों में प्रकाशित हो चुकी हैं।
- 11 सितम्बर, 1964 को उनकी मृत्यु हो गई।