जी. शंकर कुरुप
G. Sankara Kurup
(भारतीय कवि)
जन्म : 3 जून 1901, नयाथोड, अंगमालि
मृत्यु: 2 फरवरी 1978, अंगमालि
- जी.शंकर कुरुप के पिता का नाम शंकर वारियर तथा माता का नाम लक्ष्मीकुट्टी अम्मा था। बचपन में पिता की मृत्यु के बाद उनका पालन-पोषण उनके मामा ने किया। मामा ने शंकर को तीन वर्ष की आयु से ही संस्कृत का ज्ञान कराना शुरू कर दिया।
- तीसरी तक अपने गाँव में ही शिक्षा प्राप्त करने के बाद उन्हें मिडिल स्कूल के लिए पेरूम्पावूर के हॉस्टल में भेजा गया।
- हाई स्कूल पास करने के बाद अपने अध्यापकों की मदद से कोचीन राज्य की ‘पण्डित’ परीक्षा पास की और तिरूविल्वामला में अध्यापन करने लगे।
- कुछ वर्षों बाद वे महाराजा कॉलेज एर्णाकुलम् में मलयालम के प्राध्यापक हो गए और सेवानिवृत्ति तक वहीं रहे ।
- उन्होंने नौ वर्ष से ही काव्य-रचना प्रारंभ कर दी थी। उन्होंने ‘साहित्य कौतकम्’, सर्यकांति’ जैसे काव्य-संग्रह, कई निबंध-संग्रह, नाटक व बाल-साहित्य की भी रचना की है।
- उन्होंने संस्कृत, बांग्ला, फ्रेंच, फारसी की महत्त्वपूर्ण कृतियों का अनवाद किया है। उनका मलयालम साहित्य भारतीय साहित्य की एक उपलब्धि माना जाता है।
- उनको ज्ञानपीठ, सोवियत लैण्ड नेहरू पुरस्कार तथा पद्म भूषण से सम्मानित किया गया।
- विदेशों में भी उनके लेख, कविताएँ, भाषा और भेंटवार्ता प्रकाशित की गईं।
- राष्ट्रपति ने उन्हें राज्यसभा का सदस्य मनोनीत किया ।
- 2 फरवरी, 1978 को उनका देहांत हो गया ।