ई. एम. एस. नम्बूदिरीपाद
E. M. S. Namboodiripad
जन्म: 13 जून 1909, पेरिन्तलमन्ना
मृत्यु: 19 मार्च 1998, तिरुवनंतपुरम
- ई.एम.एस. नम्बूदिरीपाद का जन्म एक रूढ़िवादी ब्राह्मण परिवार नम्बूदरी में हुआ था।
- उनका परिवार बहुत संपन्न था। उनके पिता श्री परमेश्वरम नम्बूदरीपाद की जल्दी मृत्यु हो जाने के कारण बालक शंकरन की जिम्मेदारी उनकी माँ विष्ण दत्त अंतर्जन्म पर आ गई।
- आठ वर्ष की उम्र में उपनयन संस्कार के बाद उनकी ऋग्वेद की शिक्षा प्रारंभ हो गई। उन्होंने सातवीं कक्षा से विद्यालय जाना प्रारंभ किया और अंग्रेजी तथा अन्य भाषाओं का ज्ञान प्राप्त किया।
- उच्च शिक्षा के लिए वे पालघाट के विक्टोरिया कॉलेज और विचूर के सेंट थॉमस कॉलेज में भी गए। छोटी उम्र में ही वे केरल में चलाए जा रहे सामाजिक सुधार आंदोलन संस्था ‘योगक्षेम सभा’ से जुड़ गए।
- “मातृभूमि’ पत्र में निकलने वाले राष्ट्रीय लेखों ने उन्हें स्वंतत्रता आंदोलन की ओर खींचा। सन् 1932 में बी.ए. की पढ़ाई छोड़कर सविनय अवज्ञा आंदोलन में सम्मिलित हुए। उनको जेल भेज दिया गया ।
- कण्णुर केंद्रीय जेल से निकलने के बाद वे क्रांतिकारी हो चुके थे। उनकी जेल-यात्रा के दौरान ही कांग्रेस समाजवादी पार्टी की नींव पड़नी शुरू हो गई। उन्होंने केरल कांग्रेस में समाजवादी विचारों का प्रसार किया। वे सन् 1934 में पटना में बनी कांग्रेस समाजवादी पार्टी के निर्माताओं में से एक थे। उनके नेतृत्व में कांग्रेस का केरल में बहुत विस्तार हो गया।
- सन् 1937 के चुनावों में कांग्रेस के टिकट पर मद्रास विधानसभा में विजय प्राप्त की। विचारों के आधार पर कम्युनिस्ट पार्टी के विभाजन के समय उन्होंने मार्क्सवादियों के दल में शामिल होने का निर्णय लिया।
- सन् 1957-59 में वह केरल में पहली कम्युनिस्ट सरकार के मुख्यमंत्री बने। 1967-69 तक एक बार फिर से इस पद को संभाला।
- वह भारत के प्रमुख राजनीतिज्ञ, विचारक, लेखक और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव रहे।
- उन्होंने समाजवाद से सम्बंधित कई पुस्तकें लिखी। 1998 में उनका निधन हो गया।