आर्देशीर बुरजोरजी तारापोर
Ardeshir Burzorji Tarapore
जन्म : 18 अगस्त, 1923, मुंबई
16 सितंबर 1965, चाविंडा, पाकिस्तान
मुम्बई (महाराष्ट्र)
- लेफ्टिनेंट कर्नल आर्दशीर बुरजोरजी तारापोर, श्री बी .पी. तारापोर के पुत्र थे। अप्रैल 1951 को उन्हें भारतीय सेना की 17 हार्स आर्ड में कमीशन मिला।
- सन् 1965 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान 11 सितंबर को लेफ्टिनेंट कर्नल तारापोर को पाकिस्तान के स्यालकोट सेक्टर में फिलौरा पर कब्जा करने के लिए बख्तरबंद फौज पर हमला बोलने के लिए पूना हार्स का नेतृत्व सौंपा गया।
- फिलौरा पर पीछे से आकस्मिक हमला करने के लिए जब रेजीमेंट आगे बढ़ रही थी, तभी वजीरवाली से शत्रु की फौज ने उस पर हमला कर दिया।
- लेफ्टिनेंट तारापोर ने पैदल बटालियन को सहायता से अपनी एक स्क्वाड्रन के साथ फिलौरा पर आक्रमण कर दिया।
- शत्रु की तोपों तथा टैंकों से वह बुरी तरह आहत हो गए, परंतु पीछे नहीं हटे।
- 14 सितंबर को वजीरवाली पर अधिकार करने के लिए एक बार फिर उन्होंने अपनी रेजीमेंट का नेतृत्व किया।
- अपनी चोटों की चिन्ता न करते हुए उन्होंने जसोकन तथा बतूर डोगरांदी पर अधिकार कर लिया।
- उनके नेतृत्व से प्रेरित होकर रेजीमेंट ने शत्रु की भारी बख्तरबंद फौज पर तीव्र आक्रमण किए और शत्रु के 60 टैंक ध्वस्त कर दिए।
- इस युद्ध में वह शहीद हो गए।
- उन्हें ‘परमवीर-चक्र’ से सम्मानित किया गया । यह पुरस्कार पाने वाले वह सबसे अधिक उम्र के सैनिक थे।