राजनीतिक जीवन की अनिश्चितताओं पर जोर देते हुए अपने मित्र को सांत्वना दीजिए जिसने राज्य विधान सभा के चुनाव में अपनी जमानत गंवा दी है।
परीक्षा भवन,
20 जुलाई,
प्रिय राज,
मुझे यह सुनकर दुःख हुआ कि तुम अहमदाबाद में सम्पन्न हाल के उपचुनाव में गुजरात विधान सभा के लिए निर्वाचित नहीं हुए। यह सुनकर काफी दुःख हुआ कि इस समय तुम इतने बदकिस्मत रहे कि तुम्हारी जमानत जब्त हो गई। हम लोग तुम्हारी जीत की खुशी मनाने की तैयारी करने ही जा रहे थे कि मुझे तुम्हारा निराशाजनक टेलीग्राम मिला।
तुम तो अच्छी तरह जानते ही हो कि राजनीतिक जीवन अनिश्चितताओं से भरा है और हमें एक खिलाड़ी के समान अपनी हार स्वीकार करनी चाहिए। प्रत्येक असफलता भविष्य की सफलता के लिए मार्ग प्रशस्त करती है। राजनीति में यदि तुम जीतते हो तो ठीक है; यदि तुम हारते हो तो तुम्हें क्षेत्र में काम करने और पुनः लड़ने का अवसर मिलता है। यह इतना महत्त्वपूर्ण नहीं है कि कौन जीतता है। सबसे महत्त्वपूर्ण चीज अच्छी तरह से लड़ना है और इसमें कोई संदेह नहीं है कि तुम अच्छी तरह से लड़े। इसलिए, तुम्हें मेरा अच्छी सलाह है कि बीती बातों को भुला दो और अपने निर्वाचन क्षेत्र की सेवा में दिल और आत्मा लगा दो। अगली बार तुम्हारी भारी जीत होगी।
तुम्हारा सच्चा मित्र,
(क)