जिपर
Zipper
(पेन्ट की मजबूती के लिए)
सन् 1890 तक लोग जूतों में भी बटन लगाते थे। इससे जूते को पहनने और उतारने में समय लगता था। बटनों और फीतों से मुक्त पाने के लिए उसने एक लॉकिंग सिस्टम बनाया। इसमें पतली धातु की दो चेन होती थी। उन्हें जोड़कर जब उन पर स्लाइडर चलाया जाता था तो वह बंद हो जाता था।
वाइटकॉम्ब जुडसन नामक व्यक्ति को जूते पहनते समय बटन लगाना या फीते बांधना बहुत बुरा लगता था। उसे क्लिप लगाना या हुक बंद करना भी समय की बरबादी लगता था। झुकने में उसकी पीठ दुखने लगती थी और अंगुलियां भी थक जाती थीं।
पर यह अच्छी तरह नहीं चल पाता था। यह कई बार जाम हो जाता था और कई बार अपने आप भी खुल जाता था। जुडसन ने इस लॉकिंग सिस्टम को बड़े पैमाने पर बनाने के लिए मशीन भी तैयार कर ली थीं पर इसकी मांग नहीं बढ़ी। लोग बटन ही लगाते रहे।
जुडसन थोड़ा निराश अवश्य हुआ, पर उसने हार नहीं मानी। सन् 1896 में जुडसन ने लेविस वाकर के साथ मिलकर काम करना प्रारम्भ किया। वाकर ने जुडसन को सलाह दी कि जिस पर सिर्फ जूतों के लिए ही नहीं, वरन् सभी चीजों, जैसे कपड़े आदि के लिए बनाया जाए।
सन् 1910 में जुडसन ने नए जिपर तैयार किए, जिसका नाम भी रखा गया सी-क्यूरिटी। यह पुरूषों की पैटों में भी इस्तेमाल होता था और महिलाओं की स्कर्टी में भी। इसकी कीमत 35 सेंट रखी गई।
धीरे-धीरे जुडसन का आविष्कार लोकप्रिय होता चला गया। इसका इस्तेमाल भी अनेक चीजों में होने लगा; पर अभी तक उसे जिपर के आविष्कार के रूप में नहीं जाना जाता था। एक दिन एक व्यवसायी जुडसन की फैक्टरी में आया और उसने उसके आविष्कार को ध्यान से देखा। उसने अनायास टिप्पणी की, “यही है आपका जिपर! जुडसन को ‘जिपर’ नाम खूब पसन्द आया और अभी से जिपर नाम लोकप्रिय हो गया।