बरसाती कपड़े
Rain Coat
(बारिश से बचने के लिए मानवोपयोगी)
बरसात के मौसम में हम अकसर कपड़े पहनकर तैयार होते हैं और तभी बारिश आ जाती है। तब हमें अपनी छतरी या बरसाती की याद आती है। बरसाती कपड़े की विकास-गाथा भी कम विचित्र नहीं है। पहले-पहल लोगों को इससे काफी सहारा मिला। बारिश से तो बचाव हो गया, पर जब धूप निकलती तो रबर के कपड़े से परेशानी होती थी। रबर के कपड़े चिप-चिप करते थे। उनसे अजीब सी गंध भी आती थी। बगल में चल रहे व्यक्ति को भी असहजता महसूस होती थी।
कहते हैं, जब स्पेन के खोजी समुद्र-यात्री भारत की तलाश में निकले तो वे अमेरिका जा पहुंचे। वहां उन्हें रबर मिला। उस रबर का कोट पहनना उन्होंने प्रारम्भ किया। यहीं से बरसाती का चलन प्रारम्भ हुआ।
इसके अलावा एक फ्रांसीसी इंजीनियर फ्रांको फ्रेस्नो ने भी रबर का प्रयोग करके वाटरप्रूफ कोट और जूते तैयार किये थे। बाद में एक अंग्रेज चाल्र्स मॅकिंटोश ने नए सिरे से बरसाती का आविष्कार किया और बड़े पैमाने पर उसका उत्पादन भी प्रारम्भ किया।
बाद में रसायनों में निर्मित कृत्रिम रबर से बरसातियां बनाई जाने लगीं।