विज्ञान के दुष्प्रभाव
Vigyan ke Dushprabhav
विज्ञान ने हमारे दैनिक जीवन को सरल व सुगम बना दिया है। जीवन में घरेलू हो या औपचारिक कार्य, सभी क्षेत्रों में आज सुविधाएँ उपलब्ध हैं। प्राकृतिक आपदाओं की जानकारी, विषम बीमारियों की औषधियाँ व दूर
क्षेत्रों में यात्रा या वार्ता सभी सुगम हो गए हैं। अपने वरदानों के साथ-साथ विज्ञान हमारे जीवन पर कुछ दुष्प्रभाव भी डाल रहा है। वैज्ञानिक प्रयोगों द्वारा व कारखानों द्वारा निकलता रासायनिक प्रदूषण संपूर्ण वातावरण को हानि पहुँचा रहा है। मानव के आविष्कार, परमाणु बम व हथियार विश्व शांति के लिए बड़ा खतरा बन गए हैं।
सभी देश स्वयं को सबसे बड़ा परमाणु क्षेत्र बनाने में लगे हैं। विज्ञान ने हमें मशीनों के अधीन कर दिया है। हम भौतिकवादी, स्वार्थी व आलसी भी हो गए हैं। मशीनी युग ने बेरोजगारी की समस्या को भी बढ़ावा दिया है।
मानव आज सुख-साधनों को एकत्रित करने में जुट अपनी परंपरा, भाईचारा और नैतिक मूल्यों से दूर होता जा रहा है।
कंप्यूटर के बढ़ते इस्तेमाल से हम अपनी मानसिक क्षमता खोते चले जा रहे हैं। किसी भी आविष्कार का दुरुपयोग या सदुपयोग हमारे ही हाथ में है। अपनी संपन्नता के लिए हम कहाँ तक प्रकृति और बंधुत्व की भावनाओं को समाप्त करेंगे, यह हमारे ऊपर ही निर्भर है।