पत्ते का जीवन
Patte ka Jivan
वसंत ऋतु का आगमन नए जीवन की सूचना देता है। सरदी से मुरझाए, टूटे पत्ते सूरज की गरमी से फिर जीवन पाते हैं।
पेड़-पौधों की टहनियों पर धीरे-धीरे नन्हे, हरे अंकुर फूटने लगते हैं। इनसे हरी-हरी शाखाएँ उन पर नन्हे-नन्हे हरे पत्ते निकलते हैं। कुछ ही समय में यह पत्ते अपना पूरा आकार पा लेते हैं।
पत्तों को पौधों की रसोई भी कहा जाता है। सूरज की गरमी से पत्तों के अंदर भोजन बनता है जो पूरे पौधे तक पहुँचता है और उसे जीवन देता है। इसी समय जीवन के लिए आवश्यक वायु भी पत्तों से निकलती है।
पत्तों से ही पौधे अपने अंदर से अधिक पानी को भाप रूप में बाहर फेंकते हैं। यह वातावरण में मिलकर वर्षा लाने का काम करती है।
एक हरा-भरा पेड़ सदा शान से खड़ा होता है। उसकी छवि हमारे ‘मन को भी भाती है। पतझड में सभी पेड़ उदास और दुखी लगने लगते हैं। पत्ते ही धरती पर जीवन चलाते हैं। हमें यूँ ही पत्ते नहीं तोड़ने चाहिए।