मेरी प्रिय पुस्तक
Meri Priya Pustak
Top 4 Essay on ” Meri Priya Pustak”
निबंध नंबर :- 01
मेरी प्रिय पुस्तक है ‘रामायण’। स्कॉलर्स हब द्वारा प्रकाशित सरल एवं स्पष्ट शब्दों में रची यह पुस्तक मेरे मन को बहुत अच्छी लगी।
इस पुस्तक में श्री राम के जीवन को कहानी के रूप में दर्शाया गया है। राजमहल, वन, समुद्र, लंका, लड़ाई सभी का इस प्रकार वर्णन किया गया है कि वे मुझे अपने सामने ही प्रतीत होते हैं।
मेरा सबसे प्रिय पाठ सुंदर कांड है जिसमें हनुमान जी, सीता जी तक संदेश पहुँचाते हैं। इसके बाद वे भरपेट फल खाते हैं और जमकर राक्षसों की पिटाई करते हैं।
यह पुस्तक बहुत अच्छी शिक्षा भी देती है कि बुराई का अंत बुरा ही होता है इसलिए हमें बुरे काम नहीं करने चाहिए।
मैं इस अद्भुत चमत्कारों वाली पुस्तक से अपने पुस्तकालय की शुरूआत भी करूंगा।
निबंध नंबर :- 02
मेरी प्रिय पुस्तक-‘रामचरितमानस‘
Meri Priya Pustak Ramcharitmanas
पुस्तकें मनुष्य के एकाकी जीवन की उत्तम मित्र हैं। अच्छी पुस्तकें मानव के लिए सच्ची पथ-प्रदर्शिका होती हैं। वैसे तो सभी पुस्तकें ज्ञान का अक्षय भण्डार होती हैं और उनसे मस्तिष्क का विकास होता है, परंतु अभी पढ़ी गई अनेक पुस्तकों में मुझे सबसे अधिक प्रभावित किया है-‘रामचरितमानस’ ने। इसके अध्ययन से मुझे सर्वाधिक शांति और आनंद की उपलब्धि हुई है और इसने जीवन के हर क्षेत्र में मुझे प्रेरणा प्रदान की है।
‘रामचरितमानस’ के प्रणेता हैं-स्वामी तुलसीदास। उन्होंने इसकी रचना संवत 1631 में प्रारंभ करके संवत् 1633 में पूर्ण की थी। यह अवधी भाषा में लिखा गया सर्वोत्तम ग्रंथ है। इसमें महाकवि तुलसीदास ने मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के जीवनचरित को प्रस्तुत किया है। इस महाकाव्य में सात काण्ड हैं-बाल काण्ड, अयोध्या काण्ड, अरण्य काण्ड, किष्किंधा काण्ड, सुन्दर काण्ड, लंका काण्ड और उत्तर काण्ड।
‘रामचरितमानस’ हिन्दी साहित्य का सर्वोत्कृष्ट और विश्व साहित्य में अनुपम ग्रंथ है। यह हिन्दू जनता का परम प्रिय ग्रंथ है। ऐसा कोई हिन्दू शायद ही होगा, जिसके घर में यह ग्रंथ न हो। आज भारत की धर्म और संस्कति का आधार ‘रामचरितमानस’ ही है। इसका विविध भाषाओं में अनुवाद हो चुका है। हिन्दी में इसका वही महत्व है, जो मुसलमानों में ‘कुरान’ और ईसाइयों में ‘बाइबिल’ का है। इसमें राम की रावण पर विजय दिखाते हुए सत्य, न्याय और धर्म की असत्य, अन्याय और अधर्म पर विजय प्रदर्शित की है। इस महाकाव्य में राम के शील, शक्ति और सौन्दर्य का मर्यादापूर्ण चित्रण है।
‘रामचरितमानस’ में कौशल्या मातृ-प्रेम की प्रतिमा है। दशरथ ‘प्राण जाए, पर वचन न जाए’ सिद्धांत की प्रतिमूर्ति है। सीता पति-परायणा आदर्श पत्नी हैं। लक्ष्मण सच्चे भ्रातृ-प्रेमी और उर्मिला त्याग के लिए अनुकरणीय हैं। निषाद, सुग्रीव एवं विभीषण आदि आदर्श मित्र तथा हनुमान सच्चे रामभक्त हैं।
‘रामचरितमानस’ में श्रेष्ठ नीति, सदाचार और समन्वय की भावना मिलती है। क्या अच्छा है और क्या करने योग्य है-इसका ज्ञान भी यह पुस्तक हमें बखूबी कराती है। कवि ने ‘रामचरितमानस’ में आदर्श राज्य की कल्पना रामराज्य के रूप में लोगों के समक्ष रखी है। ‘रामचरितमानस’ में कला का चरम उत्कर्ष है। इसमें सभी रसों और काव्य-गणों का समावश है। इस प्रकार काव्य-कला की दृष्टि से यह एक अनुपम कृति है।
मेरे विचार में कालिदास और शेक्सपियर के ग्रंथों का जो साहित्यिक महत्व है, वही ‘रामचरितमानस’ का भी है। वह हिन्द धर्म की नहीं, भारतीय समाज की पावन पुस्तक है। यही कारण है कि इस पुस्तक मुझे सर्वाधिक प्रभावित किया है।
निबंध नंबर :- 03
मेरी प्रिय पुस्तक
Meri Priya Pustak
मैंने घर में बहुत-सी पुस्तकों का संग्रह किया है पर मेरी सबसे पुस्तक पंचतंत्र है। पंडित विष्णु शर्मा द्वारा लिखित इस पुस्तक में बहुत ही रोचक कहानियाँ हैं। मेरी मौसी ने यह पुस्तक मेरे जन्मदिन पर उपहार थी।
इसकी प्रत्येक कहानी हमें एक शिक्षा देती है। इसमें विभिन्न पशुओं के माध्यम से मानवीय स्वभाव को चित्रित किया गया है। इसमें दो प्रमुख पात्र हैं। ‘दमनक’, जो कि एक सियार है एवं संजीवक’, जो एक बैल है। विवरणात्मक स्वरूप की ये कहानियाँ बहुत अद्भुत हैं।
इन कहानियों को बार-बार पढ़ना मुझे अच्छा लगता है। इनमें से बहुत-सी मुझे याद हो गयी हैं। इन्हें मैं अपने मित्रों एवं छोटी बहन का सुनाता हूँ। ये कहानियाँ इतनी पुरानी होकर भी सदैव नयी लगती हैं। यह बहुत दिलचस्प है। मानव स्वभाव को प्रतिबिम्बित करने के लिये जिन पशुओं का प्रयोग किया गया है वे मेरी रुचि को बनाये रखते हैं।
निबंध नंबर :- 04
मेरी प्रिय पुस्तक
My Favourite Book
रामचरितमानस मेरी सबसे प्रिय पुस्तक है । इसकी रचना गोस्वामी तुलसीदास ने की और यह कविता-पुस्तक आदर्श विचारों का अनमोल खजाना है । किसी दूसरी पुस्तक में ऐसे विचार नहीं मिल सकते । इस पुस्तक में भगवान राम के जीवन चरित्र का वर्णन किया गया है । राम एक आदर्श पुत्र थे । वे एक आदर्श राजा भी थे । उनकी पत्नी सीता एक आदर्श पत्नी और एक आदर्श माता थीं । हनुमान एक आदर्श सेवक थे । राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न ये चारों आदर्श भाई थे । माता कैकेई के कहने पर राम राजमहल छोड़कर वन चले गए और वहाँ उन्होंने चौदह वर्ष बिताए । राज्य के लिए उन्होंने भरत से लड़ाई नहीं की। भाइयों में पहले जैसा ही प्रेम बना रहा । राम ने दुष्ट रावण को मारकर सच्चे हृदय वाले विभीषण को लंका की राजगद्दी पर बिठाया । रामचरितमानस की यह कथा हमें आदर्श जीवन जीने के लिए प्रेरित करती है । इस पुस्तक में भारत के लोग अपने जीवन की समस्याओं का हल ढूँढ़ते हैं।
शब्द–भंडार
अनमोल = कीमती, अमूल्य । जीवन-चरित्र = जीवन की कथा । कथा – कहानी ।। प्रेरित करती है = प्रेरणा देती है ।
nice👍👍😃nicely done 👏👏👏
thankyou
Good 👍