Hindi Essay on “Mere Jeevan ka Lakshya”, “मेरे जीवन का लक्ष्य”, Hindi Essay for Class 5, 6, 7, 8, 9 and Class 10 Students, Board Examinations.

मेरे जीवन का लक्ष्य

Mere Jeevan ka Lakshya

5 Hindi Essay on ” Mere Jeevan Ka Lakshya”

निबंध नंबर : 01

मानव जीवन में हम बड़े-बड़े काम कर सकते हैं। हम सभी अपने जीवन में कोई-न-कोई लक्ष्य बनाते हैं। उस लक्ष्य को पूरा करने के लिए कठिन परिश्रम भी करते हैं। अपने बड़ों से हमें बहुत प्रेरणा मिलती है और हम भी उनके जैसा बनना चाहते हैं।

पाँचवी कक्षा में कुछ तय करने के लिए मैं बहुत छोटा हूँ परंतु स्वयं को एक फौजी अफसर के रूप में देखना चाहता हूँ। मुझे अपने देश के लिए कुछ कर गुजरने की इच्छा होती है। जब मैं समाचारों में बाहरी ताकतों की हरकतों। के बारे में पढ़ता हूँ तब मेरा खून खौलने लगता है।

वरदी पहने जवानों को देख मैं बहुत उत्साहित होता हूँ। मेरे दादा जी भी फौज में एक ऊँचे पद पर थे। सभी उनका बहुत सम्मान करते थे। उनके साहस की बातें सुनकर मेरे मन में भी फौजी बनने की इच्छा प्रबल हो उठती  है।

मेरे माता-पिता मुझे अपने लक्ष्य की ओर सदा प्रोत्साहित करते हैं। मैं भी स्वयं को फौजी वरदी में देखने के स्वप्न देखता रहता हूँ।

(150 Words)

 

निबंध नंबर: 02

 

मेरे जीवन का लक्ष्य अथवा उद्देश्य

Mere Jeevan ka Lakshya

 

भूमिका- मनुष्य अनेक कल्पनाएं करता है। वह अपने को ऊपर उठाने के लिए अनेक योजनाएं बनाता है। कल्पना सबके पास होती है लेकिन उस कल्पना को साकार करने की शान्ति किसी-किसी के पास होती है। मनुष्य जीवन एक यात्रा के समान है। यात्री को पता होता है कि मैंने यहाँ जाना है तो वह वहीं की टिकट लेकर अपनी यात्रा आरम्भ कर देता है और अपने लक्ष्य तक पहुँच जाता है। अगर उसे यह पता नहीं कि मैंने कहाँ जाना है तो यात्रा का कोई अर्थ नहीं रह जाता। सभी अपने सामने कोई न कोई लक्ष्य रखकर चलते हैं।

विभिन्न लक्ष्य- विभिन्न व्यक्तियों के लक्ष्य भी विभिन्न होते हैं तो कोई अध्यापक बनना चाहता है, कोई डाक्टर बनना चाहता है। कोई इंजीनियर बनकर देश की सेवा करना चाहता है। कभी वह सैनिक बनकर देश की सीमा की रक्षा करना चाहता है। कोई कर्मचारी बनकर दफतर में बैठना पसन्द करताहै। कोई व्यापारी बनना चाहता है तो कोई नेता और अभिनेता बनना चाहता है। मेरे मन की एक कल्पना है मैं डॉ० बनकर ग्रामीण लोगों की सेवा करना चाहता हूँ।

मेरे लक्ष्य का महत्त्व– मैंने तो आरम्भ से ही अपने जीवन का लक्ष्य निर्धारित कर लिया है। मेरे जीवन का लक्ष्य है डॉ० बनना और अपनी समाज की सेवा करना। डॉ० का लक्ष्य केवल पैसा कमाना नहीं होना चाहिए। देश और समाज की सेवा करना उनका लक्ष्य होना चाहिए। मेरा लक्ष्य तो समाज की सेवा करना है- धन कमाना नहीं।

हमारे प्राचीन ग्रन्थों में ऐसा लिखा है कि समाज में दो व्यक्तियों का बड़ा उपकार है। पहला है शिक्षक जो लोगों की अज्ञानता को दूर करके ज्ञान रूपी दीपक दिखाकर उनका जीवन सफल बनाता है। दूसरा है डॉक्टर जो बीमार लोगों का उपचार करके उनको जीवन दान देता है। दोनों के कर्म बड़े पावन है लेकिन मैंने डॉक्टर बनकर सेवा करना पसन्द किया है। हमारे देश में जो डॉक्टर बनते हैं या तो विदेशों में भागकर ज्यादा धन कमाना चाहते हैं या फिर अस्पताल बनाकर लोगों का धन लूटते हैं। मुझे ऐसा पसन्द नहीं।

मैं चाहता हूँ कि दूर किसी गाँव में जाकर अपना अस्पताल बनाऊं ताकि गाँव के लोगों को रोगों से मुक्त जीवन मिले। उनको छोटी-मोटी बिमारी के कारण शहर की और न भागना पड़े और अपना धन लुटाना पड़ा। मेरी यह चाहत है कि मैं गरीबों से उतनी ही फीस लूं जिससे अस्पताल का काम सुचारू रूप से चल सके। मेरी यह चेष्टा रहेगा। कि गरीबो का मुफ्त इलाज करूं।

देश की वर्तमान दशा- भारत एक विकासशील देश है। परन्तु यहाँ के अधिकांश निवासी शिक्षा, गरीबी, बीमारी तथा बेरोजगारी का शिकार हैं। बीमारी की हालत में वे अपना इलाज ठीक प्रकार से नहीं करवा पाते। आज देश में ऐसे डॉक्टरों की आवश्यकता है जो सच्चे मन से बीमार लोगों का उपचार करें। मैंने डॉक्टर बनकर समाज की सेवा करने का लक्ष्य निर्धारित किया है।

उपसंहार- मेरी तुच्छ वृद्धि के अनुसार एक सफल डॉक्टर और अच्छा डॉक्टर बनना आसान नहीं है। यह कार्य कठिन है। फिर भी मैंने अपने लक्ष्य को पूर्ण करने के लिए अभी से प्रयल प्रारम्भ कर दिए है। मेरे पिता जी भी ऐसा ही चाहते हैं कि मैं एक डॉक्टर बूं और अपने समाज की सेवा करूं।

(500 Words)

 

निबंध नंबर : 03

मेरा जीवन-लक्ष्य

Mera Jeevan Lakshya 

बचपन में मेरे पिताजी कहा करते थे-“मेरा श्याम तो इंजीनियर बनेगा”, क्योंकि मैं बचपन में हथौड़ी से कुछ न कुछ कूटाकाटी किया करता था। जैसे-जैसे मैं बड़ा होता गया, मेरा रुझान भी इंजीनियर की ओर बढ़ता चला गया। मैं सोचता था-कितने सुनहरे होंगे वो जब मैं सचमुच का इंजीनियर बन जाऊँगा।

“जहाँ चाह, वहाँ राह।” दसवीं कक्षा में विज्ञान में मेरे 95 प्रतिशत अंक और गणित में 98 प्रतिशत अंक आए, तो मेरे अध्यापक ने मय कहा कि अगर मैं बारहवीं की परीक्षा में भी अच्छे नंबर लाऊँगा, तो अब इंजीनियर बन जाऊँगा। साथ ही यह भी संभव है कि इंजीनियरिंग के लिए मुझे सरकार की ओर से छात्रवृत्ति भी मिल जाए, क्योंकि सरकार मेधावी बच्चों को पढ़ने के लिए और कोर्स करने के लिए हर संभव सहायता करती है।

मुझे ज्ञात है कि समाज में इंजीनियर का एक ऊँचा स्थान है। लोग उसे आदर की दृष्टि से देखते हैं और उससे परिचित होने में गर्व का अनुभव करते हैं। आर्थिक दृष्टि से भी वह प्रथम श्रेणी का व्यवसाय है। इंजीनियर के लिए नौकरी और स्वतंत्र धंधा-दोनों ही रास्ते खुले हैं। अच्छे काम की सभी कद्र करते हैं। अनुभव और योग्यता के आधार पर पदोन्नति की संभावना भी रहती है। विदेशों में ऊँचे प्रशिक्षण के भी अवसर आते रहते हैं। निजी उद्योगों की नौकरी में उन्नति के इससे भी अधिक अवसर हैं, किन्तु यदि इंजीनियर चाहे तो अपना स्वतंत्र धंधा भी चला सकता है।

मेरी इच्छा है कि मैं इंजीनियर बनकर देश के औद्योगिक विकास में योगदान करूँ। हमारा देश औद्योगिक क्षेत्र में पिछडा हआ है, दुनिया की दौड़ में उसे आगे ले जाने का काम न तो क्लर्क कर सकते हैं, आर न दुकानदार। यह काम तो इंजीनियर ही कर सकता है। यदि मैं इंजीनियर बन जाऊँ तो जहाँ अपने जीवन के लिए अच्छी-खासी आजीविका जुटाऊँगा, वहीं देश की औद्योगिक प्रगति में भी सक्रिय योगदान दूगा। यह भी संभव है कि मैं कोई नया सुधार या आविष्कार कर सकू।।

मैं स्वयं इंजीनियर बनकर भारत के अन्य गरीब बच्चों को भी आर्थिक सहायता देकर इंजीनियर बनने में सहायता दूंगा। इसके अतिरिक्त समाज हितकर कार्यों के लिए शारीरिक एवं आर्थिक योगदान देकर अपने जीवन को सफल बनाऊँगा।

मुझे पूर्ण आत्मविश्वास है कि मैं अपने जीवन-लक्ष्य को अवश्य प्राप्त कर सकूँगा।

(350 Words)

 

निबंध नंबर : 04

मेरे जीवन का लक्ष्य

My Aim in Life

विद्यार्थियों को अपना एक लक्ष्य अवश्य निर्धारित कर लेना चाहिए । फिर इस लक्ष्य के प्रति समर्पित हो जाना चाहिए । इसलिए मैंने भी अपने जीवन का एक लक्ष्य बनाया है। मैं एक डॉक्टर बनना चाहता हूँ । डॉक्टर की आमदनी जीने लायक पर्याप्त होती है । उसे समाज में भी उचित सम्मान मिलता है । सबसे बढ़कर उसे समाज-सेवा का पर्याप्त अवसर प्राप्त होता है । डॉक्टर उस समय लोगों की मदद करता है जब कोई और उसकी मदद नहीं कर सकता । वह बीमार व्यक्तियों को नया जीवन देता है । उसका काम बहुत उत्तम कोटि का है । इसलिए मैंने डॉक्टर बनने का पक्का निश्चय किया है । इसके लिए मैं अभी से कठिन श्रम कर रहा हूँ । मैं एक अच्छा डॉक्टर बनना चाहता हूँ । मैंने माता-पिता को अपना जीवन-लक्ष्य बता दिया है । वे मेरे निर्णय से बहुत खुश हैं । वे मुझे पर्याप्त प्रोत्साहन भी दे।

(150 Words)

 

निबंध नंबर : 05

मेरे जीवन का लक्ष्य

Mere Jeevan Ka Lakshya 

लक्ष्यपूर्वक जीने से जीवन का रस बढ़ जाता है। तब हमारे जीवन की गति को एक निश्चित दिशा मिल जाती है। मैंने निश्चय किया है कि मैं इंजीनियर बनकर इस संसार को नए-नए साधनों से संपन्न करूंगा। देश में जल-बिजली, सड़क या संचार-जिस भी साधन की आवश्यकता होगी, उसे पूरा करने में अपना जीवन लगा दूंगा। मैं बड़ा होकर भवन निर्माण की ऐसी सस्ती, सुलभ योजनाओं में रुचि लूँगा जिससे मकानहीनों को मकान मिल सकें। मैंने सुना है कि कई इंजीनियर पैसे के लालच में सरकारी भवनों, सड़कों, बाँधों में घटिया सामग्री लगा देते हैं। यह सुनकर मेरा हृदय रो पड़ता है। अतः मैं कदापि यह पाप-कर्म नहीं करूँगा, न अपने होते यह काम किसी को करने दूंगा। मैंने अपने लक्ष्य को पूरा करने की दिशा में प्रयास करने आरंभ कर दिए हैं। गणित और विज्ञान में गहरा अध्ययन कर रहा हूँ। मैं तब तक आराम नहीं करूंगा, जब तक कि लक्ष्य को पा न लें।

(150 Words)

17 Comments

  1. Aman the gr8 May 21, 2019
    • Aman the gr8 May 21, 2019
  2. Lambodar Sahu December 29, 2019
  3. Liza Rawat July 9, 2020
  4. Prabhjot Singh August 9, 2020
  5. Manya Mandawewala August 23, 2020
  6. Anuja September 8, 2020
  7. Monika December 25, 2020
  8. Rajdeep kaur May 18, 2021
  9. Vishnu aditya roy June 18, 2021
  10. Lenka August 16, 2021
  11. Kashvee sharma August 18, 2021
  12. rabidulhaque916@gmail.com October 16, 2021
  13. Tafseer fatma November 24, 2021
  14. ADHIP December 17, 2021
  15. Muskan Kumari April 22, 2022
  16. Sheetal Rathore September 18, 2022

Leave a Reply