Hindi Essay on “Mera Vidyalaya”, “मेरा विद्यालय”, Hindi Essay for Class 5, 6, 7, 8, 9 and Class 10 Students, Board Examinations.

मेरा विद्यालय

Mera Vidyalaya

निबंध नंबर : 01

मैं ज्ञान मंदिर विद्यालय में पाँचवी कक्षा में पढ़ता हूँ। साठ वर्ष पुराने इस विद्यालय की ख्याति दूर-दूर तक फैली है। शहर के बीचों-बीच इस विद्यालय का फैलाव बहुत बड़े क्षेत्र में है। यहाँ शहर के हर कोने से विद्यार्थी पढ़ने आते हैं।

मेरे विद्यालय में प्रवेश करते ही रंग-बिरंगे फूलों की मोहक कतारें नजर आती हैं। विशाल चित्रों से सुसज्जित कक्षा अतिथियों का स्वागत करती है। हमारे विद्यालय में लगभग सौ कमरे हैं। हवादार कक्षाओं में उचित संख्या में पंखे और ट्यूब लाइटें लगाई गई हैं।

विद्यालय के बीचों-बीच खेल का एक बड़ा मैदान है। उससे सटे हुए एक बड़े कमरे में सभी खेलों के लिए उपयुक्त सामान रखा है। बेडमिंटन व टेनिस जैसे खेलों के लिए अलग कोर्ट बनाए गए हैं।

विद्यालय के बीच से गुजरते सभी मार्गों के इधर-उधर लंबे छायादार वृक्ष हैं। यहाँ विज्ञान, भूगोल, इतिहास, गणित व अन्य सभी विषयों के लिए प्रयोगशालाएँ व कक्ष दिए गए हैं। इनमें विषयों से जुड़े हर प्रकार का सामान उपलब्ध है।

यहाँ के पुस्तकालय में अनेक पुस्तकें, पत्रिकाएँ व कुछ समाचारपत्र भी रखे गए हैं। चिकित्सालय, अध्यापक कक्ष, छात्रावास सभी का उत्तम निर्माण किया गया है। हमारे प्रधानाचार्य अनुशासनप्रिय हैं तथा विद्यार्थियों को बहुत प्यार करते हैं। वे छात्रों की पढ़ाई के साथ-साथ खेल-कूद को भी उतना ही महत्त्व देते हैं, इसीलिए हमारा विद्यालय पढ़ाई व खेलकूद दोनों में उत्तम है।

मुझे अपने विद्यालय और यहाँ के योग्य अध्यापकों पर गर्व है।

 

निबंध नंबर : 02 

मेरा विद्यालय

My School 

मैं मोनोफोर स्कूल लखनऊ में पढ़ता हूँ इसकी ईमारत बहुत बड़ी है। तथा इसकी ईमारत का रंग लाल है। इसमें पचास कमरे हैं। इसमें दो प्रयोगशालाएँ भी हैं। इसमें एक बड़ी लाइब्रेरी भी है। जिसमें हर विषय की पुस्तकें रखी हैं। तथा इसमें किताबों के साथ-साथ, अखबार तथा मैगजीन भी रखी गई हैं। जिस विद्यार्थी को भी अखबार पढ़ने का शौक है वह वहाँ जाकर अखबार पढ़ सकता है। हमारे विद्यालय के सभी कमरे काफी खुले तथा हवादार हैं तथा एक कक्षा में कम से कम चालीस बैंच रखे गए हैं। हमारे विद्यालय में एक बड़ी डिस्पेंसरी भी है अगर किसी विद्यार्थी को विद्यालय में चोट लग जाती है तो उसका इलाज डिस्पेंसरी में हो जाता है।

हमारे स्कूल का खेलने का मैदान भी काफी बड़ा है। यहाँ विद्यार्थी हॉकी, क्रिकेट, फुटबॉल इत्यादि के मैच भी खेलते हैं।

हमें भी यहाँ खेलने में बड़ा आनन्द आता है। हमारा विद्यालय लखनऊ के विशेष विद्यालयों में से एक है। हमारा विद्यालय पढाई तथा खेल दोनों में प्रथम स्थान पर है। हमारे विद्यालय का परिणाम बहुत अच्छा आता है। हमारे विद्यालय के सभी शिक्षक बड़े योग्य तथा अनुभवी हैं। मुझे अपना स्कूल तहत अच्छा लगता है। हमारे स्कूल में एक कैंटीन भी है। जहाँ हर प्रकार का खाने का सामान मिलता है। मुझे अपने विद्यालय पर गर्व है।

निबंध नंबर : 03

मेरा विद्यालय
Mera Vidyalaya

हमारा विद्यालय बहुत बड़ा और विशाल है। इसका घंटाघर इतना ऊँचा है कि कोई भी इसे दूर से देख सकता है। वास्तव में, यह घंटाघर हमारे क्षेत्र का सीमा चिह्न बन गया है।

मेरे विद्यालय में तीस कमरे एवं एक बड़ा खेल का मैदान है। हमारे विद्यालय का बगीचा बहुत सुन्दर है जिसमें हर प्रकार के पेड़-पौधे लगे हैं। बगीचे की देखभाल के लिये दो माली हैं।

हमारे विद्यालय के सभी शिक्षक-शिक्षिकायें अत्यन्त योग्य एवं सक्षम हैं। वे बहुत स्नेही एवं दयालु हैं। हमारे प्रधानाध्यापक एक प्रौढ़ व्यक्ति हैं। वह बहुत मधुर स्वभाव के हैं। वह सुप्रसिद्ध हैं। पिछले वर्ष ही उन्हें दिल्ली राज्य द्वारा सम्मानित किया गया था। वह विद्यार्थियों को कभी दण्ड नहीं देते। विद्यालय से जडा प्रत्येक कर्मी एवं विद्यार्थी एक बहे परिवार की तरह है।

हमारे विद्यालय का पुस्तकालय बहुत बड़ा है। उसमें विभिन्न विषयों की हजारों पुस्तकें हैं। हमें पढ़ने के लिये बहुत-सी पत्रिकायें सदैव उपलब्ध रहती हैं। प्रत्येक विद्यार्थी का एक पुस्तकालय कार्ड बनाया जाता है। एक समय पर विद्यार्थी दो पुस्तकें प्राप्त कर सकता है। मैं प्रतिदिन पुस्तकालय जाने का प्रयत्न करता हूँ।

विद्यालय के समारोह एवं वाद-विवाद प्रतियोगितायें विशाल केन्द्रीय कक्ष में आयोजित किये जाते हैं। खेल में रुचि रखने वाले विद्यार्थियों को हमारा विद्यालय आधुनिक सुविधायें एवं उपकरण उपलब्ध कराता है। मेरे विद्यालय से जुड़ी हर बात अच्छी है और मुझे वहाँ जाना अच्छा लगता है। मुझे अपने विद्यालय पर गर्व है।

निबंध नंबर : 04

विद्यालय में मेरा प्रथम दिवस

Vidyalaya me mera Pratham Diwas

विद्यालय में अपना प्रथम दिवस मुझे अब भी याद है। उस समय मैं छ. वर्ष का था। उस दिन माँ ने मुझे सुबह जल्दी उठाया। नहा धो कर नाश्ते के पश्चात् उस दिन मैंने अपने विद्यालय की नयी वर्दी पहनी। मैं बहुत रोमांचित था।

मेरी बहन उसी विद्यालय में चौथी कक्षा में पढ़ती है। हम दोनों को पिताजी कार में विद्यालय ले गये। विद्यालय का परिसर लड़कों एवं लड़कियों से भरा हुआ था। हम सीधे प्रधानाध्यापक के कक्ष में गये। उन्होंने मुझे प्रथम कक्षा में दाखिला दे दिया। उसके पश्चात् मेरे पिताजी अपने कार्यालय चले गये।

विद्यालय के चपरासी ने मुझे मेरी कक्षा तक पहुँचाया। मेरी कक्षा की अध्यापिका बहुत मधुर स्वभाव की थीं। उन्होंने मुझे दुलार से बिठाया एवं शेष कक्षा से परिचय करवाया। मेरी कक्षा के विद्यार्थियों से उसी समय मेरी मित्रता हो गयी। उन्होंने मुझे समय-तालिका एवं विभिन्न विषयों के अध्यापकअध्यापिकाओं के बारे में बताया।

मध्यावकाश के दौरान मैं अपनी बहन से कैन्टीन में मिला। घर से लाया नाश्ता हमने एक साथ खाया। मैंने उसे तब तक के अपने अनुभव के विषय में बताया और अपने दोस्तों की बातें कीं। 12:30 बजे छुट्टी की घंटी बजी। माँ विद्यालय के गेट पर मिलीं। हम दिनभर की बातें एक-दूसरे को बताते घर पहुंचे।

संक्षेप में, यह एक सुखद अनुभव था। में विद्यालय में अपने प्रथम दिवस को कभी नहीं भुलूँगा।

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