मेरा जन्मदिन
Mera Janamdin
3 Essay on ” Mere Janamdin”
निबंध नंबर :- 01
मेरा जन्मदिन 9 जनवरी को होता है। इस वर्ष मेरे माता-पिता ने मेरा – जन्मदिन बहुत धूमधाम से मनाया।
सुबह हम सब मंदिर गए। वहाँ मैंने प्रसाद बाँटा। फिर मैं पिता जी के साथ अपनी पाठशाला गया। वहाँ मेरी अध्यापिका ने मुझे बहुत स्नेह दिया और सब मित्रों ने खड़े होकर मुझे बधाई दी। पिता जी मेरे सभी मित्रों के लिए उपहार लाए थे।
शाम को हमने पूरा घर गुब्बारों और रंगीन झालरों से सजाया। हम सभी संबंधी दावत पर आए। हमने केक काटा और खूब पकवान खाए।
माँ ने बच्चों के लिए जादू के कार्यक्रम और कई खेल आयोजि किए थे। सबने खूब मस्ती की और माँ को धन्यवाद किया।
मेरे इस जन्मदिन पर मुझे सबसे अधिक आनंद आया। मैं इसे का नहीं भूलूंगा।
निबंध नंबर :- 02
मेरा जन्मदिन
Mera Janamdin
कल छ: जनवरी है, मेरा जन्मदिन। कल मैं आठ वर्ष का हो जाऊँगा।
जन्मदिन का अर्थ है ‘समारोह’। प्रति वर्ष की तरह मैंने इस वर्ष भी समारोह करने की योजना बनायी है। मैंने अपने सभी मित्रों को एवं अपने मनपसन्द सम्बन्धियों को आमन्त्रित किया है।
मुझे याद है पिछले वर्ष मेरे जन्मदिन पर बहुत सर्दी थी। मेरे सभी मित्र आये थे और हमने खूब मज़ा किया था। हमने बहुत सारे खेल खेले थे, जैसे ‘पासिंग-पार्सल’ एवं ‘म्युज़िकल चेयर’। मोहित ने अपनी गिटार पर दो गानों की धुनें बजायी थीं। उस दिन मुझे अच्छे-अच्छे उपहार मिले थे।
नाचने एवं गाने के बाद हमने अपना मनपसन्द भोजन किया था। जी हाँ! स्वादिष्ट ‘जन्मदिन केक’ भी था जो सबने पसन्द किया। बहुत सारी मिठाइयाँ और ठण्डे पेय भी थे। मेरे जन्मदिन पर हमेशा खूब आनन्द आता है इसीलिये मैं इस दिन की उत्सुकता से प्रतीक्षा करता हूँ।
मेरा जन्मदिन
My Birth-day
निबंध नंबर :- 03
रूप–रेखा
लोग अपना जन्मदिन कैसे मनाते हैं?, मेरा जन्मदिन, इस अवसर पर किसे बुलाते हैं, इस दिन की दिनचर्या, पार्टी और उत्सव की तैयारी, मेहमानों का स्वागत, सजावट, जन्मदिन का उत्सव, खाना–पीना, उत्सव की समाप्ति ।
भारतीय समाज में व्यक्ति का जन्मदिन अब एक उत्सव का रूप ले चका है । लोग अपने जन्मदिन को पूरे उत्साह और हर्ष के साथ मनाते हैं । जन्मदिन के केक काटे जाते हैं तथा घर में अपनी हैसियत के अनुसार पार्टी दी जाती है। इस पार्टी में पास-पडोस के लोग, मित्र तथा सगे-संबंधी भाग लेते हैं। लोग जन्मदिन की बधाई देते हैं तथा कुछ उपहार भेंट करते हैं । मेरा जन्मदिन भी कुछ इसी तरीके से मनाया जाता है । यह दिन मेरे लिए एक त्योहार के जैसा होता है । इस दिन मेरी खुशी का ठिकाना नहीं रहता । मैं अपना जन्मदिन पूरी तैयारी के साथ मनाता हूँ।
मेरा जन्मदिन हर वर्ष मार्च महीने की 15 तारीख को आता है । यह समय हमारे देश में बसंत ऋतु का होता है । इस समय चारों ओर उमंग और खुशी का समय होता है। ऐसे में मेरा जन्मदिन और भी खुशनुमा हो उठता है। इस अवसर पर उपस्थित होने के लिए मैं अपने खास दोस्तों को आमंत्रित करता हूँ। मेरे पड़ोसी और सगे-संबंधी भी सम्मिलित होते हैं । बुजुर्गों के आशीर्वाद और मित्रों की शुभकामनाओं को पाकर मुझे बहुत संतुष्टि मिलती है । यह दिन मेरे लिए यादगार दिन होता है।
15 मार्च के दिन मैं सुबह उठकर माता-पिता के चरण-स्पर्श करता हूँ। फिर मैं जीवन में यह सुनहरा दिन लाने के लिए ईश्वर का शुक्रिया अदा करता हूँ। मैं उनसे कहता हूँ कि मेरे जीवन में यह दिन बार-बार आए। फिर मैं नित्य क्रिया को समाप्त कर तथा नहा-धोकर माँ के साथ मंदिर जाता हूँ । माँ इस दिन मेरे लिए विशेष पूजा-अर्चना करती हैं । वे ईश्वर से मेरे लिए सुखसौभाग्य और लंबी आयु की कामना करती हैं । इस दिन मंदिर के बाहर बैठे भिखारियों को माँ मेरे हाथों से दान दिलवाती है । घर पर ब्राह्मणों तथा दति नारायण को भोजन कराया जाता है।
खा-पीकर हम लोग पार्टी की तैयारी में लग जाते हैं । टेन्ट वाला रसोइए बुलवाए जाते हैं । ये लोग मेहमानों के स्वागत और भोजन की तैयारी जुट जाते हैं । फलों, आम के पत्तों तथा बिजली के झालरों से घर की सजावा की जाती हैं । इधर मेहमानों का आना शुरू हो जाता है । माँ और पिताजी इनका स्वागत करते हैं । मैं अपने मित्रों का स्वागत करता हूँ। शाम होते ही पूरा घर रोशनी से जगमगा उठता है । मैं नए वस्त्र पहनकर तथा पूरी सजावर के साथ मेहमानखाने में दोस्तों के साथ गप-शप करता हूँ। मैं उनके मनोरंजन का पूरा ख़याल रखता हूँ।
लगभग साढ़े सात बजे केक काटने की रस्म होती है । उपस्थित लोग मुझे जन्मदिन की बधाई देते हैं । इस दिन मुझे ढेर सारे उपहार प्राप्त होते हैं। कलम, खिलौने, पुस्तकें, घड़ियाँ आदि कितनी ही वस्तुएँ इस दिन मुझे तोहफे में मिलती हैं । मैं इन्हें बार-बार उलट-पुलट कर देखता हूँ । मैं उपहार की कीमत नहीं देखता । बस भेंट करने वालों का प्यार देखता हूँ।
जन्मदिन की रस्म के बाद खाने-पीने की बारी आती है । मैं अपने दोस्तों को पहले चटपटा नाश्ता, फिर भोजन कराता हूँ । पिताजी मेहमानों का पूरा ध्यान रखते हैं । वे सभी लोगों को भोजन कराते हैं। माँ पड़ोसियों का विशेष ध्यान रखती हैं । वे उन्हें घर से बुलाकर खाना खिलाती हैं । खाना खाकर मेहमान जाने की तैयारी करने लगते हैं । पिताजी उन्हें नम्र विदाई देते हैं । अंत में घर के सदस्य एक साथ भोजन करते हैं। भोजन के बाद हम लोग सोने की तैयारी करने लगते हैं । इस प्रकार यह पूरा दिन हँसी-खुशी बीत जाता है।
I am wanting for my last birthday