मैंने दीपावली कैसे मनाई
Maine Dipawali Kaise Manai
हर्षोल्लास व प्रकाश के इस उत्सव की पवित्रता देश-विदेश में मानी गई है। हमारे पर्व हमारी परंपराओं के सूचक होते हैं। उन्हें उत्साह से मनाकर हम अपनी परंपराओं के प्रति अपना आदर व्यक्त करते हैं।
दीपावली श्री राम के आने पर मनाई गई थी। उसी परंपरा को हम अपने घरों की साफ़-सफ़ाई व रोशनी कर मनाते हैं। मैंने भी अपनी माता जी के साथ घर को सजाया और द्वार पर रंगोली बनाई। फिर सुंदर वस्त्र पहन हम मित्रों के घर मिठाई बाँटने गए। सभी लोग हमसे प्रेम और उत्साह से मिले।
संध्या समय हमने गणेश-लक्ष्मी जी का पूजन-आरती किया। प्रसाद की बरफ़ी मुझे बहुत स्वादिष्ट लगती है। विद्यालय में हमें पटाखों से होने वाले प्रदूषण के बारे में बताया गया था। अत: मैं हर बार से बहुत कम पटाखे लाया था। घर और आँगन को दीपों से सुसज्जित कर हमने कुछ पटाखे जलाए ।
फिर हम सोसाइटी के पार्क में इकट्ठा हो आकाश में आतिशबाजियाँ देखने लगे। स्वयं छोड़ने से अधिक आनंद आकाश में भरते रंगों को देखने का है।
माता जी ने फिर सभी बच्चों को घर बुला खूब पकवान खिलाए। उत्साहपूर्ण दिन के बाद मैं थक गया था और खाना खाकर सो गया।