जन्माष्टमी
Janamashtmi
निबंध नंबर :- 01
हिंदु धर्म में हर युग में धरती का उद्धार करने किसी-न-किसी अवतार ने जन्म लिया है। भगवान विष्णु के अवतार श्री कृष्ण के जन्म का उत्सव है। जन्माष्टमी। यह त्योहार बड़े हर्षोल्लास के साथ पूरे भारत में मनाया जाता है।
मथुरा में कंस के दुराचार से सभी पीड़ित थे। एक आकाशवाणी हुई कि उसकी बहन देवकी और वासुदेव का आठवाँ पुत्र उसका वध करेगा। यह सुन उसने उन दोनों को बंदीगृह में डाल दिया और एक के बाद एक उनके सभी पुत्रों का वध करता गया। आठवें पुत्र, श्री कृष्ण को वासुदेव टोकरी में डाल, अपने मित्र नंद के यहाँ छोड़ आए।
श्री कृष्ण ने अपनी बाल लीलाओं से गोकुलवासियों को धन्य कर दिया। उन्होंने धरती पर कई राक्षसों का वध किया। रास लीला से उन्होंने गोपियों का भी मन मोह लिया। ।
जन्माष्टमी पर मंदिरों को भव्य झांकियों से सजाया जाता है। पालने में बैठे बाल कृष्ण को झुलाने के लिए बच्चे-बड़े सभी आतुर रहते हैं। लोग इस दिन उपवास रखते हैं और आधी रात को भोजन करते हैं।
महाराष्ट्र में जगह-जगह ऊँची मटकियों में माखन और रुपए रखे जाते हैं। जिन्हें लड़कों की टोलियाँ जुगत लगाकर फोड़ती हैं।
वृंदावन और मथुरा में इस त्योहार की सर्वाधिक धूम रहती है। मुझे इस त्योहार पर बनी मिठाइयाँ सबसे अधिक लुभाती हैं।
निबंध नंबर :- 02
जन्माष्टमी
Janamashtmi
जन्माष्टमी का त्योहार सभी हिन्दुओं के लिए एक प्रमुख त्योहार है। इसे कृष्ण जन्माष्टमी कहते हैं। इसे अन्य नामों से भी जाना जाता है। जैसे-“कृष्णाष्टमी”, “साटम आठम”, “गोकुलाष्टमी”, “अष्टमी रोहिणी”, ” श्री कृष्ण जयंती”, “श्री जयंती” इत्यादि। परंतु अधिकांश लोग इसे “जन्माष्टमी” ही कहते हैं। हिन्दू इस त्योहार को कृष्ण के जन्म और भगवान विष्णु के अवतार के रूप में मनाते हैं।
कृष्ण का जन्म रात के 12 बजे उनके मामा कंस के कारागार में हुआ था। कृष्ण जन्माष्टमी हिन्दू कैलेण्डर के अनुसार श्रावण (सावन) माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी के दिन रोहिणी नक्षत्र में पड़ती है। यह त्योहार कभी अगस्त और कभी सितम्बर में पड़ता है। कृष्ण जन्माष्टमी से एक दिन पहले सप्तमी को लोग व्रत रखते हैं और आधी रात को 12 बजे कृष्ण का जन्म हो जाने के बाद घंटे-घड़ियाल बजाकर श्रीकृष्ण की आरती उतारते हैं। तत्पश्चात् सभी लोग अपने आस-पड़ोस और मित्र-रिश्तेदारों को ईश्वर का प्रसाद वितरण करके खुशी प्रकट करते हैं। फिर वे स्वयं खाना खाते हैं। इस प्रकार पूरे दिन व्रत रखकर यह त्योहार मनाया जाता है।
कृष्ण जन्माष्टमी के दिन बच्चे अपने घरों के सामने हिंडोला सजाते हैं। वे हिंडोले (पालने) में छोटे से कृष्ण को सुला देते हैं। कंस का कारागार बना देते हैं। उसमें देवकी और वसुदेव को बिठा देते हैं।
कारागार के बाहर सिपाही तैनात कर देते हैं। इसी प्रकार उसके आसपास अन्य खिलौने रख देते हैं। इन्हें देखने के लिए आस-पास के बद्धत लोग आते हैं। वहाँ मेला-सा लग जाता है। जहाँ स्थान अधिक होता बै वहाँ झले और खिलौने बेचने वाले भी आ जाते हैं। बच्चे वहाँ हिंडोला देखने के साथ-साथ झूला झूलते हैं और खिलौने वगैरा भी खरीदते हैं।
विशेषकर, जन्माष्टमी के दिन बच्चे बहुत उत्साहित होते हैं, क्योंकि कई प्रकार के खिलौने खरीदकर उन्हें हिंडोला सजाना होता है। कई स्थान पर कृष्ण-लीला भी होती है। इसमें मथुरा का जन्मभूमि मंदिर और बांकेबिहारी का मंदिर मुख्य है।
कहा जाता है कि जब कृष्ण का जन्म हुआ था, तब कारागार के सभी पहरेदार सो गए थे, देवकी-वसुदेव की बेड़ियाँ स्वतः ही खुल गई थीं और कारागार के दरवाजे स्वतः ही खुल गये थे। फिर आकाशवाणी ने वसुदेव को बताया कि वे अभी कृष्ण को गोकुल पहुँचा दें। तत्पश्चात् कृष्ण के पिता वसुदेव कृष्ण को सूप में सुलाकर वर्षा ऋतु में उफनती हुई नदी पार करके गोकुल ले गए और नंद के यहाँ छोड़ आए। सभी लोग इसे कृष्ण का ही चमत्कार मानते हैं। वर्ना कंस ने तो कृष्ण के सात भाइयों को पैदा होते ही मार दिया था। फिर कृष्ण ने बचपन से युवावस्था तक कंस सहित अनेक राक्षसों का वध किया और अपने भक्तों का उद्धार किया। यही कारण है कि लोग उन्हें ईश्वर का अवतार मानकर उनकी पूजा-अर्चना एवं भक्ति करते हैं। इस प्रकार कृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार आनंद, सांप्रदायिक सद्भाव और अनेकता में एकता का त्योहार है।