ईश्वरचंद्र विद्यासागर
Ishwar Chandra Vidyasagar
ईश्वरचंद्र विद्यासागर का जन्म 28 सितंबर, 1820 ई. में बंगाल के एक निर्धन परिवार में हुआ था। उनकी माता का नाम भगवती देवी और पिता का नाम ठाकुरदास बंदोपाध्याय था। उनके माता-पिता उदार हृदय के, सादा जीवन व्यतीत करने वाले लोग थे।
ईश्वरचंद्र को पाँच वर्ष की आयु में विद्यालय भेजा गया था। वहाँ उन्होंने अपने कुशाग्रबुद्धि होने के कई प्रमाण दिए। उनकी स्मरण शक्ति भी अद्भुत थी। विद्यासागर कॉलेज के बाद कोलकाता फोर्ट विलियम कॉलेज में अध्यापक हो गए।
ईश्वरचंद्र को गुलामी से सख्त चिढ़ थी। वे एक परोपकारी एवं स्वावलंबी व्यक्ति थे। एक बार जब वे एक अंग्रेज अधिकारी के दफ़तर गए।
तो उसने उन्हें बैठने को भी नहीं कहा। बिना क्रोध या कोई भाव व्यक्त किए। वे लौट आए। पुन: वह अधिकारी जब उनके पास आया उन्होंने भी वैसा ही व्यवहार किया। क्रोधित अंग्रेजी अफ़सरों द्वारा पूछे जाने पर उन्होंने बताया कि वे केवल सभ्य जाति के लोगों की नकल उतार रहे थे। यह घटना उनके आत्म गौरव की मिसाल बन गई।
उन्होंने सामाजिक उत्थान के लिए कई कार्य किए। हरिजन शिक्षा, बालविवाह, गरीबों और पुत्रियों के उत्थान की दिशा में उनका योगदान महत्त्वपूर्ण रहा। सामाजिक कुरीतियों से छुटकारा दिलाने के लिए उन्हें आज भी याद किया जाता है।