इंद्रधनुष
Indradhanush
प्रकृति अपने सौंदर्य व नए निराले कारनामों से हमें सदा चकित करती है। भरी धूप में मंद गति से बहती पवन, धीरे-धीरे ठंडी होने लगती है और फिर काले बादलों का समूह सूरज को ढक देता है। गर्जना के साथ पृथ्वी
को फिर प्रकृति वर्षा से तृप्त करती है। मोर, पपीहों के कौतुहल के बीच बच्चे वर्षा में भीग उसका आनंद उठाते हैं। वर्षा के बाद जब बादल छंटते हैं तो आकाश इंद्रधनुष के सौंदर्य से खिल उठता है। बादलों के बीच से
हमारी ओर मुसकराता हुआ इंद्रधनुष कवियों और चित्रकारों के लिए सदा रुचिकर रहा है।।
वर्षा के बाद बारिश की कुछ छिटपुट बूंदें हवा में बिखरी रहती हैं। जब सूर्य की सफ़ेद किर। इनसे टकराती हैं तो वे सात रंगों में बिखर जाती हैं। बैंगनी, जामनी, नीला, हरा, पीला, संतरी और लाल, इंद्रधनष के सात रंग
बच्चों के नन्हें चित्रों में प्राय: बादलों और पर्वतों के बीच से इंद्रधनुष झाँकता नजर आता है। प्रकृति की अनेक कृतियों में से यह एक ऐसा है जो बच्चे-बड़ों सभी को एक-सा हर्षित करता है।