घुड़सवारी
Ghudswari
घोड़ा एक बहुत ही सुंदर और समझदार जीव है। इसे चिरकाल से हम अपने वाहन के रूप में प्रयोग करते आ रहे हैं। आधुनिक युग में घुड़सवारी केवल एक शौक के रूप में प्रचलित है। वाहनों की दौड़ में तो घोड़ा वैसे भी नहीं टिक पाएगा ।
मेरे पिता जी ने मुझे घुडसवारी सीखने के लिए एक सेंटर में डाला है। यहाँ कई बच्चे, बड़े और कुछ बूढ़े भी इसका आनंद उठाने आते हैं।
घुड़सवारी करने से पहले मैं अपने घोड़े रुस्तम को प्यार से सहलाकर गाजर खिलाता हूँ। मैं उसके पीछे कभी नहीं जाता क्योंकि घोड़ा कभी भी बिदक सकता है। घुड़सवारी करते समय घोड़े की लगाम और पैरों की पकड़ मजबूत होनी चाहिए। अपनी कमर सीधी रखते हुए मैं अपने कोच की बातें ध्यानपूर्वक मानता हूँ।
घोड़े से उतरकर मैं पुनः उसे सहलाता हूँ। मैं अपना हेलमेट कभी नहीं भूलता। धीरे-धीरे मुझे भी घुड़सवारी का शौक होने लगा है।