Hindi Essay on “Earthquake”, “भूकंप”, Hindi Nibandh for Class 5, 6, 7, 8, 9 and Class 10 Students, Board Examinations.

भूकंप

Earthquake

निबंध नंबर :- 01

धरती के अंदर अनेकानेक क्रियाकलाप चलते रहते हैं, जिनका पता भी हमें नहीं चलता। धरती की कई सतह नीचे लावा की गरमी है जो धरती की ऊपरी सतहों में हलचल पैदा करती है। जब यह हलचल कंपन के रूप में धरती की सबसे ऊपरी सतह को हिलाती है तो उसे भूकंप कहते हैं।

भूकंप के झटके प्रायः तीन से पाँच सैकंड तक महसूस होते हैं और इनके कंपन को रिक्टर स्केल पर एक से नौ तक नापा जा सकता है। सामान्यत:। पाँच से अधिक माप पर आनेवाला भूकंप प्रलयकारी होता है।

ऐसे भूकंप में बड़ी-बड़ी इमारतें ढह जाती हैं और धरती फटने लगती है। पैट्रोल पंप आदि ज्वलनशील जगहों पर आग लग जाती है। जान-माल का बहुत नुकसान होता है और मलबे के ढेर में लाखों लोग दब जाते हैं।

भूकंप का कारण मुख्यत: पहाड़ों से रास्ता बनाते हुए की गई बमबारी, बाँध बनाने के लिए गहरी खुदाई इत्यादि होते हैं।

भूकंप के बाद सबसे कठिन कार्य होता है मलबे में दबे जीवित लोगों को बिना हानि के निकालना। भूकंप पीड़ितों के लिए दिल खोलकर राहत में सहायता करनी चाहिए। ऐसे बेघर लोगों को कपड़े, दवाइयाँ, भोजन सभी की आवश्यकता होती है।

निबंध नंबर :- 02

भूकम्प का दृश्य

Bhukamp ka Drishya 

 

भूकम्प का इतिहास उनता ही पुराना है, जितनी पुरानी यह पृथ्वी। बैगनर ने कहा है कि करोड़ों वर्ष पहले सभी महाद्वीप आपस में जुड़ेहुए थे और वे विभिन्न दिशाओं में आगे बढ़ते गए। कहीं-कहीं घटते भी गए। इस प्रक्रिया के टकराव के कारण पृथ्वी के अन्दर की चट्टानों में दरारें पड़ने लगी और वे खिसने लगीं। इसी से भूकम्प आए। कुछ वर्ष हुए उत्तर प्रदेश के टिहरी गढ़वाल इलाके में भीषम भूकम्प आया। बड़ी गड़गड़ाहट हुई। पक्के मकान भी धराशाई हो गए। सूखी धरती पर पानी की धाराएं बहने लगी। पहाड़ों में दरारें आ गई। लोग बचाव के लिए इधर-उधर भागने लगे। कई दिनों तक भूकम्प ग्रस्त क्षेत्रों में जाना भी दूभर हो गया। सड़कें टूट चुकी थी। बाहनों का आना-जाना बन्द हो गया। घायलों की मरहम पट्टी करने वाला कोई न था। भूखों का अन्न और नग्नों को वस्त्र देने वाला कोई न था। चारों ओर हाहाकार मची थी। सर्दी के कारण बचाव करना कठिन हो रहा था। हवाई जहाजों से खाने के पैकेट फेंके जा रहे थे। मृत्यु का ऐसा क्रूर तांडव कभी न देखा था। उस दृश्य को देखकर आज भी मेरे रौंगटे खड़े हो जाते हैं। ऐसाबुरा दिन किसी पर भी न आए।

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