बसंत पंचमी
Basant Panchmi
निबंध नंबर :- 01
सरदी के बाद बहार का मौसम लेकर आती है बसंत पंचमी।
पेड़ और बूटे सभी बसंत के आने से फूलों से शोभित हो जाते हैं। फरवरीमार्च में आनेवाला यह त्योहार वातावरण में रंग, जोश और स्फूर्ति भर देता है।
रंग-बिरंगे कपड़े पहन, रंग-बिरंगी पतंगें उड़ाते, बच्चे घर की छतों पर नजर आते हैं। पीले रंग का इस त्योहार पर बहुत महत्त्व है। लोग पीले वस्त्र पहन, पीले पुष्प और हलदी तिलक से ईश्वर पूजन करते हैं। घरों में केसर डाल, पीला हलवा भी बनाया जाता है।
यह दिन विशेषतः सरस्वती माता की उपासना से जुड़ा है। जीवन से अज्ञान रूपी अंधेरा हटा, ज्ञान की प्राप्ति के लिए माँ सरस्वती की आराधना की जाती है।
हिंदू धर्म के अनुसार ज्ञान की देवी सरस्वती वस्त्र धारण किए, वीणा पकड़े, श्वेत कमल पर विराजमान है। उन्होंने श्वेत पुष्पों के ही आभूषण पहने हैं और उनके एक हाथ में पुस्तक भी शोभित है।
यह त्योहार देश के विभिन्न क्षेत्रों में उल्लासपूर्वक मनाया जाता है।
बसंत पंचमी
Basant Panchmi
निबंध नंबर :- 02
हमारे देश में बसंत पंचमी का त्योहार बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। बसंत पंचमी के दिन ज्ञान की अधिष्ठात्री देवी सरस्वती देवी का जन्म हुआ था इसलिए इस दिन देवी सरस्वती की पूजा-अर्चना की जाती है। पुरातन युग में, इस दिन राजा सामंतों के साथ हाथी पर बैठकर नगर का भ्रमण करते हुए देवालय पहुँचते थे। वहाँ विधिपूर्वक कामदेव की पूजा की जाती थी और देवताओं पर अन्न की बालियाँ चढ़ाई जाती थीं।
बसंत पंचमी पर हमारी फसलें-गेहूँ, जौ, चना आदि तैयार हो जाती हैं इसलिए इसकी खुशी में हम बसंत पंचमी का त्योहार मनाते हैं। संध्या के समय बसंत का मेला लगता है जिसमें लोग परस्पर एक-दूसरे के गले से लगकर आपस में स्नेह, मेल-जोल तथा आनंद का प्रदर्शन करते हैं। कहीं-कहीं पर बसंती रंग की पतंगें उड़ाने का कार्यक्रम बड़ा ही रोचक होता है। इस पर्व पर लोग बसंती कपड़े पहनते हैं और बसंती रंग का भोजन करते हैं तथा मिठाइयाँ बाँटते हैं।
ऋतुराज बसंत का बड़ा महत्त्व है। इसकी छटा निहारकर जड़-चेतन सभी में नव-जीवन का संचार होता है। सभी में अपूर्व उत्साह और आनंद की तरंगें दौड़ने लगती हैं। स्वास्थ्य की दृष्टि से यह ऋतु बड़ी ही उपयुक्त है। इस ऋतु में प्रात:काल भ्रमण करने से मन में प्रसन्नता और देह में स्फूर्ति आती है। स्वस्थ और स्फूर्तिदायक ने अपनी लेखनी चलाई है। मन में अच्छे विचार आते हैं। यही कारण है कि इस ऋतु पर सभी कवियों हमारे देश में छः ऋतुएँ होती हैं, जो अपने क्रम से आकर अपना पृथक-पृथक रंग दिखाती हैं।
परंतु बसंत ऋतु का अपना अलग एवं विशिष्ट महत्त्व है। इसीलिए बसंत ऋतुओं का राजा कहलाता है। इसमें प्रकृति का सौन्दर्य सभी ऋतुओं से बढ़कर होता है। वन-उपवन भांति-भांति के पुष्पों से जगमगा उठते हैं। गुलमोहर, चंपा, सूरजमुखी और गुलाब के पुष्पों के सौन्दर्य से आकर्षित रंग-बिरंगी तितलियों और मधुमक्खियों के मधुरस पान की होड़-सी लगी रहती है। इनकी सुंदरता देखकर मनुष्य भी खुशी से झूम उठता है। विद्यार्थियों के लिए भी यह त्योहार बहुत आनंददायक होता है। इस पर्व पर विद्यालयों में सरस्वती पूजा होती है और शिक्षक विद्यार्थियों को विद्या का महत्त्व बताते हैं तथा पूरे उल्लास के साथ पढ़ने की प्रेरणा देते हैं।