Hindi Story, Essay on “Surya aur Vayu ”, “सूर्य और वायु” Hindi Moral Story, Nibandh for Class 7, 8, 9, 10 and 12 students

सूर्य और वायु

Surya aur Vayu 

सूर्य और वायु में बहस हो रही थी। वे दोनों ही बहस करके साबित करना चाहते थे कि वे एक-दूसरे से ताकतवर थे। वायु गरजी, “ मैं तुमसे अधिक ताकतवर हूं।”

सूर्य ने घमंड से कहा, “अपने-आप को मूर्ख मत साबित करो। हम दोनों जानते हैं कि असली ताकतवर कौन है।”

उनकी बहस सारा दिन चलती रही। तभी उन्हें सड़क पर एक आदमी जाता दिखाई दिया। जिसने अपने कंधों पर शॉल लपेट रखी थी। सूर्य को एक उपाय सूझा। उसने कहा, “हम परीक्षा करके देख सकते हैं कि हममेंसे अधिक ताकतवर कौन है और ये बहस बाद में होती रहेगी।”

 “हम दोनों अपनी ओर से पूरी कोशिश करेंगे कि ये आदमी अपना शॉल उतार दे। जो भी ऐसा करने में सफल रहा। वही विजेता माना जाएगा।”

सूर्य ने हवा को खेल के नियम समझा दिए। हवा उसकी चुनौती सुन कर और गरजी, “हा! तुम्हें मुझे कोई बड़ी चुनौती देनी चाहिए थी।” हवा धीरे-धीरे बहने लगी पर उस आदमी को कोई असर नहीं पड़ा। यह देख हवा गुस्से में आ कर जोर से बहने लगी। इस वजह से तो उस बेचारे आदमी को इतनी ठंड लगी कि उसने शॉल को और भी कस कर लपेट लिया।

जब हवा ने हार मान ली तो सूरज ने चुनौती जीतने के लिए किस्मत आजमानी चाही। जब सूरज तेजी से तपने लगा तो उस आदमी ने शॉल की पकड़ ढीली कर दी। और अंत में जब सूरज ने और भी तेजी दिखाई तो वह आदमी शॉल उतार कर उससे हवा करने लगा।

सूरज उस आदमी की शॉल उतरवाने में सफल रहा था और उसने प्रतियोगिता जीत ली थी। हवा को अपनी हार माननी पड़ी और उसने भी माना कि सूरज उससे कहीं अधिक शक्तिशाली था।

 नैतिक शिक्षाः लगातार कोशिश कार्य को सफल करती है।

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