Hindi Story, Essay on “Ghamand karna Bewakufi ki Nishani”, “घमंड करना बेवकफी की निशानी” Hindi Moral Story, Nibandh for Class 7, 8, 9, 10 and 12 students

घमंड करना बेवकफी की निशानी

Ghamand karna Bewakufi ki Nishani

एक समय की बात है एक सुनार और लुहार अपने गधों पर सामान लादकर किसी रास्ते पर जा रहे थे। सुनार का गधा सुंदर तरीके से सजा हुआ था और उसकी पीठ पर सोने की मोहरें लदी हुई थीं। जबकि इसके विपरीत लुहार का गधा साधारण रुप में था, उस पर काफी सामान लदा हुआ था। सुनार का गधा अपने ऊपर बहुत घमंड कर रहा था। वह लुहार के गधे को बड़ी घृणा भरी नजरों से देख रहा था, जबकि लुहार का गधा चुपचाप रास्ते पर चलता जा रहा था। संयोगवश रास्ते में कुछ डाकू छुपे बैठे थे। थोड़ी दूरी से उन्हें देखते ही लुहार व सुनार गधों को वहीं छोड़ सिर पर पैर रखकर वहाँ से भाग लिए। लुहार के साधारण गधे को देखकर डाकुओं ने उसे आगे जाने दिया परन्तु सुनार के गधे की सजावट को देखकर डाकुओं ने उसे रोक लिया। तथा उस गधे की पीठ पर बंधी सोने की मोहरें भी लूट लीं। जब सुनार के गधे ने मोहरें देने में आनाकानी की तो उन्होंने उसे खूब पीटा और उसके ऊपर लगा सुंदर कपड़ा भी छीन लिया। पिटाई खा-खाकर सुनार के गधे की हालत बहुत ही खराब हो चुकी थी। उसकी ऐसी शोचनीय हालत देखकर लुहार के गधे ने उससे कहा, “अपने धन पर कभी घमंड नहीं करना चाहिए क्योंकि धन तो स्वयं संकट की जड़ होता है। अत: धन पर घमंड करना बेवकफी की निशानी है।

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