History of “Coins”, “पैसा (सिक्के)” Who & Where invented, Paragraph in Hindi for Class 9, Class 10 and Class 12.

पैसा (सिक्के)

Coins

History of Coins in Hindi

History of Coins in Hindi

(आज का युग-पैसे का युग)

एक जमाना वह भी था, जब रुपए-पैसे का चलन नहीं था। मनुष्य की पहली आवश्यकता भोजन थी और लोग भोज्य पदार्थ, जैसे-अनाज, फल आदि देकर दूसरी चीजें ले लेते थे। खाद्य पदार्थों को लम्बे समय तक सुरक्षित बनाए  रखने के लिए नमक का प्रयोग किया जाता था। उसका प्रयोग काफी समय तक मुद्रा के रूप में भी हुआ। काली मिर्च भी मुद्रा के रूप में प्रयोग होती रही। तिब्बत में रहने वाले लोग वहां के स्थानीय जानवर याक के मक्खन को काफी समय तक मुद्रा के रूप में प्रयोग करते रहे हैं।

आज के युग को पैसे का युग’ भी कहा जाता है। इसका एक कारण यह भी है कि लगभग हर कार्य में पैसे का इस्तेमाल होता है तथा हर व्यक्ति अपने पास कम या ज्यादा पैसा (करेंसी) रखता है।

खाद्य पदार्थों के बाद अनेक विचित्र चीजें मुद्रा के रूप में इस्तेमाल होती रहीं। फीजी के लोग हेल के दांतों का, अफ्रीका के लोग लोहे की छड़ों का इस्तेमाल मुद्रा के रूप में करते रहे। मोती, शंख आदि चीजें भी  मुद्रा के रूप में इस्तेमाल होती रहीं। कौड़ियों का प्रयोग काफी समय तक मुद्रा के रूप में होता रहा।

धातु के सिक्कों का मुद्रा के रूप में इस्तेमाल कब, कहां और कैसे प्रारम्भ हुआ, यह तो ज्ञात नहीं है, पर विश्व के अनेक भागों में लगभग दो हजार सात सौ वर्ष पुराने सिक्के मिले हैं। भारतीय ग्रंथों में स्वर्ण-मुद्राओं का काफी उल्लेख मिलता है।  इनका उपयोग लेन-देन में किया जाता था। पुरस्कार या मूल्य के रूप में स्वर्ण-मुद्रा देने के असंख्य उदाहरण हैं।

स्वर्ण-मुद्राएं व अन्य धातु की जो मुद्राएं खुदाई में मिली हैं, वे अनेक सूचनाएं भी देती हैं। ईसा पूर्व चौवालीसवीं सदी में जूलियस सीजर का शासन रोम में था। उस काल के सिक्कों में उसकी तसवीर छपी है। इंग्लैंड में भी दो हजार साल पुराने सिक्के मिले हैं। जापान के सिक्के चौकोर  आकति के मिले हैं, जबकि अन्य जगहों से मिलने वाले सिक्के गोल हैं।

पुराने समय में लोग थैली में सिक्के भरकर निकलते थे और खरीदारी करने जाते थे। तब उनके लिए खरीदारी आसान तो हो गई थी, पर इतने । सिक्के रखना भारी व कठिन काम था। चोरों का डर भी रहता था।

उस समय आज जैसे बैंक नहीं होते थे। जो लोग पैसे के लेन-देन का काम करते थे, वे धीरे-धीरे कागज पर हुंडी आदि लिखकर देने लगे। लोग उनके पास सोना या अन्य चीजें जमा कर जाते थे और बदले में कागज का पोनोट पाते थे। इस प्रकार कागजी मुद्रा का अप्रत्यक्ष  चलन प्रारम्भ हो गया। यह मुद्रा नकद मुद्रा के समान ही होती थी और लोग इन्हें आगे बेचकर नकद पैसे ले लेते थे।

लगभग तीन सौ वर्ष पूर्व विभिन्न देशों में कागजी मुद्रा का चलन प्रारम्भ हुआ। हालंकि कागजी मुद्रा दो हजार साल से भी ज्यादा समय से चीन में चल रही थी, पर लोकप्रिय नहीं हो पाई थी। वहां पर मालबरी पेड़ की छाल से बने कागज पर नीले रंग की स्याही से लिखकर  नोट दिए जाते थे। धीरे-धीरे कागजी मुद्रा सभी देशों में चलने लगी। अलग-अलग देशों में मुद्रा का अलग-अलग नाम दिया गया। भारत, पाकिस्तान, श्रीलंका आदि में रुपया ही मुद्रा है। अमेरिका में डॉलर, इंग्लैंड में पौंड मुद्रा है। रुपयों को पैसों में बांटा जाता है और डॉलर को  सेंट में। इस प्रकार आज विश्व में छोटी-बड़ी मुद्राएं मौजूद हैं।

बड़ी रकम कागज की मुद्रा के रूप में उपलब्ध है, जबकि छोटी रकम अभी भी धातु की मुद्रा के रूप में ही मिलती है। सोने या चांदी का प्रयोग अब मुद्रा के रूप में कतई नहीं होता। सन् 1853 में अमेरिका में 50 डॉलर का सोने का सिक्का अवश्य जारी हुआ था, पर उसके  बाद सोने या चांदी के सिक्के कहीं जारी नहीं हुए। अब निकिल का प्रयोग धातु के सिक्कों के रूप में होता है। यह निकिल भी शुद्ध नहीं होता; इसमें अन्य धातुएं मिलाई जाती हैं।

प्रथम विश्वयुद्ध के समय मुद्रा के एक नए रूप का प्रचलन प्रारम्भ हुआ और वह था क्रेडिट कार्ड। मगर उस समय यह चल नहीं पाया। बाद में (सन् 1960 के दशक में) यह खासा लोकप्रिय हो गया और अब तो इसकी लोकप्रियता बढ़ती ही जा रही है। कम्प्यूटर के प्रयोग ने  क्रेडिट कार्ड के जरिए पेपर-रहित बैंकिंग की शुरुआत कर दी है। सम्भावना है। कि आने वाले समय में लोग क्रेडिट कार्ड से ही चीजें खरीदेंगे और तब कागजी मुद्रा का प्रचलन कम हो जाएगा। जो भी हो, मुद्रा के विकास ने एक लम्बा सफर तय किया है।

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