History of “Chewing Gum”, “च्युइंगम” Who & Where invented, Paragraph in Hindi for Class 9, Class 10 and Class 12.

च्युइंगम

Chewing Gum

History of Chewing Gum in Hindi

History of Chewing Gum in Hindi

(विश्व में दीवाना मानव)

कम लोगों को ही यह पता होगा कि च्युइंगम का जन्म आज से लगभग एक सौ पचास वर्ष पहले अमेरिका में हुआ था। बात सन् 1866 की है। अपनी सत्ता और जान पर आया खतरा देखकर मेक्सिको के तानाशाह जनरल सांता ऐना ने चुपके से देश से भागने की तैयारी कर ली। उस जल्दबाजी में भी उसने अपने सामान में एक मोटा सा सफेद पदार्थ रखा। वस्तुतः मेक्सिकोवासियों की मान्यता थी कि संकट के समय  इस पदार्थ को चबाना चाहिए।

दुनिया में च्युइंगम के जितने दीवाने हैं, उससे अधिक आलोचक या विरोधी है। इसका मुख्य कारण उसका चिपचिपापन है। इसके इस दोष के बावजूद उसे यों ही चूसते रहने वाले लोग करोड़ों की संख्या में हैं।

मेक्सिको से भागकर उस तानाशाह ने न्यूयॉर्क (अमेरिका) के स्टेटन द्वीप में शरण ली। वहां कुछ महीने रहने के बाद वह फिर मेक्सिको के लिए प्रस्थान कर गया। मेक्सिको जाते समय वह अपनी अन्य  सारी चीजें तो लेता गया, लेकिन वह सफेद पदार्थ शायद भूलवश उस द्वीप में स्थित उसके कमरे में मेज पर ही छूट गया। बाद में उस पदार्थ पर थॉमस एडम्स नामक एक ऐसे व्यक्ति की दृष्टि पड़ी, जो खोजी प्रवृत्ति का था। पता लगाने पर उसे मालूम हुआ कि वह तानाशाह शासक उस पदार्थ को चबाया करता था। उसे इस बात पर विश्वास नहीं हुआ। वह समझ नहीं  पाया कि रबर जैसी इस सफेद चीज को भला वह क्यों चबाया करता था।

वह खोजी प्रवृत्ति का था ही। उसने उस पदार्थ को वत्कनाइज करके नए प्रकार का रबर बनाना चाहा; पर वह विफल रहा। तब उसने नकली दांतों को चिपकाने वाले गोंद के रूप में इसका इस्तेमाल करना चाहा, मगर इसमें भी वह सफल नहीं हुआ। आखिरकार, उसने उस  पदार्थ को उबाल दिया और सींकों पर उसके छोटे-छोटे टुकड़े लपेट दिए और फिर इस विश्वास के साथ कि अमेरिकी लोग भी ऐसे सांता ऐना की तरह ही चबाएं, न्यूजर्सी स्थिति कैंड स्टोर में बेचने के लिए आया। दो दिनों के बाद उसे तब बड़ा आश्चर्य हुआ जब उसे पता चला  कि उस दुकान में वे पदार्थ हाथोहाथ बिक गए। बस फिर क्या था। उसने (एडम्स) इसे बनाने की मशीन तत्काल बना डाली और अगले साल यानी सन् 1871 में उसका पेटेंट करा लिया।

एडम्स को मिली सफलता की देखा-देखी कई अन्य व्यवसायों ने भी च्युइंगम बनाना शुरू कर दिया। उन्होंने उसमें रंग और खुशबू भी डाली तथा उन (च्युइंगम) को आकर्षक रैपर्स में पैक किया। इन सबसे च्युइंगम की बिक्री और अधिक बढ़ गई।

इस लोकप्रियता से उपजी  भीषण प्रतिस्पर्धा के कारण जल्द ही एक समय ऐसा आया, जब च्युइंगम के हर व्यवसायी को अपने इस कारोबार पर संकट के बादल मंडराते दिखने लगे। इससे बचने के लिए चाल्र्स पिलट नामक एक व्यवसायी ने च्युइंगम ट्रस्ट बनाने का प्रस्ताव अन्य व्यवसायियों के समक्ष  रखा। अंततः छह व्यवसायियों ने मिलकर ट्रस्ट बनाया। इसका लाभ उन्हें मिलने लगा। अब वे भरपूर लाभ अर्जित करने लगे।

विलियम रिगले नामक एक च्युइंगम व्यवसायी ने स्वयं को इस ट्रस्ट से अलग रखा था। उसने अपनी कम्पनी ‘रिगले” का जबरदस्त विज्ञापन करना शुरू कर दिया। इससे उसे अप्रत्याशित सफलता मिली। जल्द ही वह इस व्यवसाय में शिखर पर पहुंच गया। सन् 1920 तक  स्थिति यह हो गई कि अमेरिका में बिक रहे च्युइंगम का लगभग पचहत्तर प्रतिशत भाग उसकी ही कम्पनी का हुआ करता था।

सन् 1950 तक च्युइंगम यूरोप के विभिन्न देशों और फिर एशिया के । देशों से होते हुए संसार में फैल गया। इस चिपचिपे पदार्थ से करोड़ों लोग। इस कदर चिपक चुके हैं कि अपने को इससे छुड़ा नहीं पाते।

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