मेरा प्रिय मित्र
Mera Priya Mitra
Top 4 Hindi Essay on ” Mera Priya Mitra”
निबंध नंबर :- 01
मित्र हमारे जीवन में मित्र बहुत महत्त्वपूर्ण हैं। खेल-कूद, पढ़ाई और अपनी यात्राओं की चर्चा हम नि:संकोच अपने मित्रों से करते हैं। प्राय: कोई एक मित्र हमारे मन को सबसे अधिक अच्छा लगने लगता है। उसके एक दिन विद्यालय न आने से हमें अटपटा-सा लगता है। सुधीर मेरा ऐसा ही प्रिय मित्र है।
सुधीर और मैं पहली कक्षा से ही साथ पढ़ रहे हैं, हम एक ही साथ बैठते हैं। सुधीर और मेरे पिताजी, दोनों एक ही दफ़तर कार्य करते हैं, इसलिए हम बाहर भी मिलते रहते हैं।
सुधीर एक चतुर और तीव्र बुद्धि का विद्यार्थी है। वह अध्यापकों का भी प्रिय है। मेरे काम के प्रति मेरे आलस्य पर वह प्रायः मुझे टोकता है। सुधीर बहुत स्वाभिमानी भी है। वह अनावश्यक किसी से मदद नहीं लेता। उसे फुटबाल खेलना सबसे अधिक पसंद है।
सुधीर को एक बुरी आदत है, वह अपना खाना पूरा खत्म नहीं करता। इस पर मैं उसे बिठाकर खिलाता हूँ। हमारा आपसी प्रेम देखकर दूसरे मित्र । ईष्र्या भी करते हैं। परंतु मैं ऐसा मित्र पाकर बहुत प्रसन्न हूँ।
निबंध नंबर :- 02
मेरा मित्र / मेरा सच्चा मित्र
Mera Mitra / Mera Saccha Mitra
जीवन में सच्चा मित्र मिलना किसी खजाने से कम नहीं है। मेरे भी अनेक मित्र हैं, परंतु पवन मेरा सच्चा और सबसे प्रिय मित्र है। मुझे उसकी मित्रता पर गर्व है। हमारी मित्रता को विद्यालय एवं पड़ोस में एक आदर्श के रूप में देखा जाता है, क्योंकि हमारी दोस्ती स्वार्थ पर आधारित नहीं है।
पवन एक अमीर परिवार से है। उसके पिता एक प्रसिद्ध डॉक्टर हैं। उसकी माँ अध्यापिका हैं। पवन उनका इकलौता पुत्र है। उसकी एक छोटी बहन भी है। दोनों बहन-भाई में बड़ा स्नेह है। उसके सारे परिवार का जीवन बड़ा ही नियमित है और पवन भी एक अनुशासन प्रिय बालक है। वह अपने माता-पिता की हर बात को सहर्ष मानता है। उसमें एक अच्छे पुत्र के सभी गुण विद्यमान हैं।
पवन मेरी कक्षा में ही पढ़ता है। हम दोनों एक ही डेस्क पर बैठत। हैं। वह हमेशा चित्त लगाकर पढ़ाई करता है। सभी शिक्षक उससे प्रसन्न रहते हैं। वह पढ़ाई में बहुत होशियार है। वह हर परीक्षा में 90 प्रतिशत से अधिक अंक प्राप्त करता है। सभी को विश्वास है कि वह बोर्ड की सीमा में स्कूल का नाम अवश्य उज्ज्वल करेगा। वह अपना गृहकार्य (होमवर्क) समय पर करता है और नियमित रूप से उसकी जाँच करवाता है। वह सदैव पुस्तकालय से पुस्तकें लेकर अपना ज्ञान बढ़ाता रहता है। मैं उसके नोट्स से काफी मदद लेता हूँ।
मेरा मित्र पवन बड़ा होकर डॉक्टर बनना चाहता है। वह अपने लक्ष्य के प्रति अभी से सचेष्ट – है। वह मुझे भी इस दिशा में प्रेरित करता रहता है। मुझे पूर्ण विश्वास है कि बड़ा होकर वह अपना लक्ष्य अवश्य प्राप्त करेगा।
पवन मेरे पड़ोस में ही रहता है। वह सदैव मधुर बोलता है। घमंड तो उसमें नाममात्र भी नहीं है। हम दोनों प्रातः प्रतिदिन सैर करने जाते हैं। दो-तीन किलोमीटर की सैर करने के पश्चात् हम बगीचे में व्यायाम करते हैं। फिर घर वापस आते हैं। हम शाम को दो घंटे एक साथ मिलकर पढ़ते हैं। उसके माता-पिता मुझे भी अपना पुत्र जैसा ही मानते हैं। हम दोनों के परिवारों में घनिष्ठ संबंध हैं।
मेरा मित्र पवन स्वभाव से बहुत अच्छा है। विनम्रता उसका गुण है। वह सदैव बड़ों का आदर-सम्मान करता है। पढ़ने के अलावा खेल-कूद में भी वह सदा आगे रहता है। हम दोनों स्कूल की क्रिकेट टीम में मिलकर खेलते हैं और सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भी हिस्सा लेते हैं।
मैं ईश्वर से उसकी दीर्घायु की कामना करता हूँ। मैं चाहता हूँ कि हमारी मित्रता सदैव बनी रहे।
निबंध नंबर :- 03
मेरा प्रिय मित्र
Mera Priya Mitra
मेरे बहुत-से मित्र हैं। मगर मुझे हफीज़ सबसे अधिक पसन्द है। वह मेरा सर्वाधिक प्रिय मित्र है। मैं उसे फेज़ बुलाता हूँ। मुझे याद है मैं उस विद्यालय के प्रथम दिन मिला था। हम उसी दिन मित्र बन गये थे।
वह बहुत सरल, मधुरभाषी एवं बुद्धिमान है। कभी-कभी वह अंग्रेजी विषय में मेरी मदद करता है। मैं भी गणित में उसकी मदद करता हूँ। हम कभी-कभी शाम को शतरंज खेलते हैं। वह शतरंज बहुत अच्छी खेलता है। और मुझसे लगभग हर बार जीतता है।
फेज़ फुटबॉल का भी बहुत अच्छा खिलाड़ी है। वह विद्यालय की टीम का एक नियमित सदस्य है। वह बड़ा होकर देश के लिये फुटबॉल खेलना चाहता है। उसके पिताजी की स्टेशनरी की दुकान हमारे घर के समीप है। उसके माता-पिता बहुत अच्छे हैं। वे मुझे बहुत प्यार करते हैं। मैं अक्सर उनसे मिलने जाता हूँ। त्योहारों के समय उसकी माँ स्वादिष्ट मिठाइयाँ बनाती हैं।
मुझे फेज़ बहुत पसन्द है। मैं उससे स्नेह करता हूँ और उसका साथ मुझे अच्छा लगता है।
निबंध नंबर :- 04
मेरा प्रिय मित्र
My Best Friend
संसार में सच्चे मित्र बहुत कम होते हैं । मुझे बहुत खुशी है कि करण के रूप में मुझे एक सच्चा मित्र मिल गया है । वह मेरा सहपाठी और सबसे प्रिय मित्र है । वह कक्षा का सबस व्यवहार-कुशल और बुद्धिमान छात्र है। वह कक्षा में हमेशा प्रथम स्थान पर रहता है । हंसमुख स्वभाव के करण उसकी प्रशंसा हमारे अध्यापक भी करते हैं। मेधावी छात्र हान पर भी उसे घमंड नहीं है। वह विद्यालय की सभी गतिविधियों में हमेशा आगे रहता है। वह विद्यालय की क्रिकेट टीम का कैप्टन है । पढ़ाई में करण मेरी सहायता के लिए हर समय तैयार रहता है । हम सभी का वह प्रेरणा-स्रोत है। उसके पिता एक विद्यालय में प्रधानाचार्य हैं । उसका पूरा परिवार अच्छे संस्कारों वाला है । मैं भाग्यवान हूँ कि मुझे करण जैसा सच्चा और आदर्श मित्र मिला है।
शब्द–भंडार ।
सहपाठी – साथ पढ़ने वाला । प्रशंसा = तारीफ । व्यवहार-कुशल = व्यवहार में कुशल । प्रेरणा-स्रोत = प्रेरणा देने वाला व्यक्ति, जहाँ से प्रेरणा मिलती हो ।
VERY NICE ESSAY……
VERY HELPFUL !!!!!
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Diva
Helpful essay
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