Hindi Essay on “Hockey ka Ankhon Dekha Match”, “हॉकी मैच का आँखों देखा मैच”, Hindi Nibandh, Anuched for Class 10, Class 12 ,B.A Students and Competitive Examinations.

हॉकी मैच का आँखों देखा मैच

Hockey ka Ankhon Dekha Match

 

भूमिका- खेलों का इतिहास बहुत पुराना है। महाभारत और रामायण काल में भी खेलकूद होते थे। खेल खेलना मनुष्य की स्वाभाविक प्रवृत्ति है। खेल से मनुष्य के शरीर का विकास होता है। जीवन में खेल कूद का बड़ा महत्त्व है। आज अनेक प्रकार के खेल प्रचलित हैं। सभी को कोई-न-कोई खेल पसन्द होता है। मुझे हॉकी का खेल पसन्द है।

राष्ट्रीय खेल- हॉकी हमारा राष्ट्रीय खेल है। इस खेल में भारत की विशेष रुचि रही है। एक ऐसा समय था जब हॉकी के इतिहास में भारत की कोई बराबरी नहीं कर सकता था। भारत के प्रसिद्ध खिलाड़ी तथा हॉकी के जादूगर माने जाने वाले ध्यानचन्द की हॉकी से खुश होकर जर्मनी के हिटलर ने उनसे हाथ मिलाया था। उसके बाद भारतीय हॉकी के पतन का दौर शुरू हो गया। मैं भी हॉकी मैच देखने का शोकीन हूँ। गत सप्ताह मुझे भी एक हॉकी का मैच देखने का अवसर मिला। यह मैच इतना रोमाचकारी था कि इसकी याद भुला पाना कठिन है। यह मैच जिला स्तर पर खेला गया था। एक तरफ जालन्धर की टीम थी तो दूसरी तरफ रोपड़ जिला की टीम थी।

खेल की आयोजन- यह मैच जालन्धर में खेला गया। प्रातः 10 बजे दोनों टीमें पल्टन पार्क के मैदान में आ डटी। खिलाड़ियों के प्रवेश करते ही चारों तरफ से तालियों की गूंज सुनाई देने लगी। दोनों ही टीमों के खिलाड़ियों ने अपनी-अपनी वर्दी पहनी हुई थी। जालान्धर की टीम के खिलाड़ियों की वर्दी का रंग हरा था जबकि रोपड़ की टीम के खिलाड़ियों ने लाल रंग की वर्दी पहन रखी थी।

खेल आरम्भ- कुछ क्षणों के बाद रैफरी ने दोनों टीमों के कप्तानों को बुलाया। रैफरी ने सिक्का उछाला। पंजाब की टीम ने टॉस जीत लिया। उसने मैदान की बाई और चुनी। खेल आरम्भ होते ही चारों तरफ सन्नाटा छा। गया। गैंद को मैदान के बीच ने रख दिया गया और दोनों टीमों के खिलाड़ी आगे बढ़े। पंजाबके एक ऊँचे कद वाले खिलाड़ी में गेंद को उछाला। रोपड़ की टीम के खिलाड़ी सजग हो गए। रोपड़ की टीम आवेश में आ चुकी थी। आवेश के कारण उसका एक खिलाड़ी फाऊल कर बैठा। इसी कारण जालन्धर टीम को एक पैनल्टी कार्नर मिला जिसे उन्होंने देखते ही देखते गोल में बदल दिया। बेचारा गोलकीपर हाथ मलता रह गया। इतने में मध्यान्तर हो गया।

मध्यान्तर के बाद बाल को पुनः केन्द्र में रखा गया। अब रोपड़ के खिलाड़ियों ने बड़ा चमत्कार पूर्ण प्रर्दशन किया। उन्होंने ताल-मेल से खेलना आरम्भ किया। शीघ्र वह गोल उतारने में सफल हो गई। अब खेल में कौतूहल बढ गया। दोनों ही टीमें बड़े जोश से खेल रही थी। लेकिन गोल नहीं कर पा रही थी। खेल में केवल पन्द्रह मिन्ट शेष थे। जालन्धर के खिलाड़ियों में अचानक कहाँ से जोश आ गया। कप्तान ने अपने खिलाड़ियों का हौंसला बढाया। खिलाड़ियों ने आपसी ताल-मेल बनाया। छोटे-छोटे पास देकर आगे बढ़ रहे थे। रोपड़ की टीम के होंसले परस्त हो गए। उसके एक खिलाड़ी ने अचानक टांग अड़ा दी जिससे जालान्धर की टीम को पेनल्टी स्ट्रोक दिया गया। जालन्धर की टीम ने इसका पूरा-पूरा लाभ उठाया। बाल को इतने जोर से हिट मारी कि गोलकीपर को भी पता न चला कि कब गोल हो गया है।

इस प्रकार जालन्धर की टीम विजयी घोषित हुई। खिलाड़ी अति प्रसन्न थे। दर्शक मैच की बातें करते हुए मैदान से बाहर आ रहे थे। मुझे भी हॉकी का खेल प्रिय लगता है। इस खेल मं खिलाड़ियों को आपसी तालमेल सूझबूझ अन्य खेलों से कहीं अधिक रखनी पड़ती है। मैं भी हॉकी का खिलाड़ी हूँ।

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