Hindi Essay on “Gaon ki Sair”, “गाँव की सैर”, Hindi Essay for Class 5, 6, 7, 8, 9 and Class 10 Students, Board Examinations.

गाँव की सैर

Gaon ki Sair

आधुनिकता के प्रदूषण से रहित जहाँ प्रकृति अपने पैर उन्मुक्त फैलाती है,

वहीं गाँव की ताज़गी का बसेरा है। दो शहरों के बीच हमारे राष्ट्रीयमार्ग पर कई जगह छोटे-बड़े गाँव बसे हैं। ऐसे ही एक गाँव को करीब से देखने का अवसर मुझे भी मिला।

दिल्ली से मसूरी की यात्रा करते हुए हमारी गाड़ी एक जगह पंचर हो गई। टायर बदलने की कोशिश में पिता जी से नट खो गया। मजबूरन हमें पास के गाँव में मिस्त्री ढूंढने जाना पड़ा। गाँव की ओर से आती हुई पिघलते गुड़ की खुशबू वातावरण में फैली थी। यहाँ देहाती तरीकों से गुड़ और चीनी बन रही था।

कुछ आगे जाने पर महिलाएँ घास की ढेरियों पर उपले सुखातीं नज़र आईं। ये सूखे उपले चूल्हे में ईंधन का काम करेंगे। खेतों के बीचों बीच ट्यूबवैल से ठंडे पानी की लहर, लहलहाते खेतों की प्यास बुझा रही थी। एक तबेले से मिस्त्री का पता पूछा, तो उसने ताजे दूध का गिलास पिलाया कच्चे मकानों से होते हुए एक जगह हम फिर रास्ता भटक गए। एक घर से। निकले सज्जन ने हमें रास्ता भी दिखाया और कच्चे आमों का थैला भी भरकर दिया।

मिस्त्री ले हम गाड़ी पर पहुँचे और मैंने गाँव के विनम्र लोगों के किस्से तुरंत ही अपनी मम्मी को सुनाए  गाड़ी ठीक हुई और हम चल पड़े परंतु मेरा मन यहीं, हरियाली में अटक-सा गया है।

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